Published : Apr 02, 2020, 08:03 AM ISTUpdated : Apr 02, 2020, 08:14 AM IST
लखनऊ (Uttar Pradesh) । अब कोरोना वायरस के संक्रमण का पता लगाने के लिए परेशान नहीं होना होगा, क्योंकि इसका पता लगाना अब सरल हो गया है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) ने महज आधे घंटे में दो बूंद खून या प्लाज्मा के जरिये संक्रमण बताने वाली 12 तरह की किट पर सहमति जता दी है। रैपिड जांच की उन किट की लिस्ट भी जारी की गई है, जो एफडीए या पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलाजी की जांच में सही पाई गई हैं। हालांकि रैपिड तकनीक से पॉजिटिव रिपोर्ट आने पर कोरोना संक्रमण की केवल आशंका होगी। पुष्टि के लिए विशेष जांच कराने की जरूरत होगी।
नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलाजी ने कई मानकों पर जांचने के बाद इसकी उपयोगिता पर सहमति जताई है। आइसीएमआर ने भी इसे मरीजों में इस्तेमाल करने की सहमति दे दी है।
25
कोरोना की जांच के लिए अभी नाक और गले से स्वाब (खुरचन) का नमूना लिया जाता है। आरएनए वायरस को इसमें से अलग कर पीसीआर (पाली मराइज चेन रिएक्शन) तकनीक से संख्या बढ़ा कर देखा जाता है। यह जटिल प्रक्रिया है।
35
इंडियन एसोसिएशन की माइक्रो बायोलाजिस्ट की सदस्य डॉ.विनीता खरे बताती हैं कि आरटीपीसीआर तकनीक से कोरोना संक्रमण जांच कराने वाले मरीजों की संख्या में कमी आएगी। यह जटिल और महंगी जांच है।
45
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) ने महज आधे घंटे में दो बूंद खून या प्लाज्मा के जरिए संक्रमण बताने वाली 12 तरह की किट पर सहमति जता दी है। रैपिड जांच की उन किट की लिस्ट भी जारी की गई है।
55
इस रैपिड तकनीक से पॉजिटिव रिपोर्ट आने पर कोरोना संक्रमण की केवल आशंका होगी। पुष्टि के लिए विशेष जांच कराने की जरूरत होगी।