फरूखाबाद (Uttar Pradesh)। मोहम्मदाबाद कोतवाली क्षेत्र के बरेली-इटावा हाईवे स्थित गांव करथिया इस समय लोगों की जुबान पर है, क्योंकि यहां 24 बच्चों को बुलाने के बाद कैद करने वाला 40 वर्षीय सुभाष बाथम पर देशभर की नजर रातभर थी। हर कोई इस शख्स के बारे में जानना चाहता था कौन है और कितना बड़ा अपराधी है कि सरकार को एटीएस की कमांडों टीम भेजनी पड़ी। ऐसे में हम आपको बता रहे हैं कि इस शख्स ने किस तरह अपराध जगत में पैर रखे और क्यों इन बच्चों को इस तरह किडनैप किया।
Ankur Shukla | Published : Jan 31, 2020 2:55 AM IST / Updated: Jan 31 2020, 11:38 AM IST
घर में चोरी की शिकायत पर उसने 2001 में मौसा की हत्या की थी। 2005 में उसे उम्रकैद हुई। 10 साल जेल में रहने के बाद हाईकोर्ट से उसे जमानत मिल गई।
करीब तीन महीने पहले एसओजी ने फतेहगढ़ में हुई चोरी के आरोप में उसे जेल भेज दिया। वहां से डेढ़ माह पूर्व जमानत पर छूटा। खुद को फंसाने के शक में उसने पुलिस व ग्रामीणों से बदला लेने की योजना बना डाली थी।
गुरुवार दोपहर करीब 3:30 बजे अपनी एक साल की बेटी के जन्मदिन के बहाने गांव के करीब 24 बच्चे घर बुलाए और सभी को बंधक बना लिया।
देर रात सिरफिरे ने आदेश बाथम की 6 महीने की बेटी शबनम को छत के मोखले से पुलिस को सौंप दिया। माना जा रहा है कि वह उसे मृत समझ लिया था, क्योंकि शबनम बेहोश हो चुकी थी। देर रात आइजी मोहित अग्रवाल भी गांव पहुंच गए और अफसरों से पूरी जानकारी ली। इसके बाद ग्रामीणों के सब्र का बांध टूट गया और सुभाष के घर का दरवाजा तोड़कर उसे बाहर निकाल लिया।
गुस्साई भीड़ ने उसकी पिटाई शुरू कर दी। इसके बाद वह छुड़ाकर अंदर भागा तो पीछे से पुलिस भी घुस गई। इस पर वह फिर फायरिंग करने लगा, जवाबी फायरिंग में पुलिस की गोली लगने से सुभाष की मौत हो गई। इसके बाद पुलिस ने घर में बने बेसमेंट से बच्चों को सकुशल निकाल लिया।