किसी को अपनी स्टूडेंट से हुआ प्यार तो कोई नर्स को दे बैठा दिल...ऐसी है इन विदेशियों की Love स्टोरी

वाराणसी (Uttar Pradesh). आज यानी 14 फरवरी को प्यार का दिन कहा जाता है। इस दिन प्रेमी जोड़े अपने प्यार का इजहार करते हैं। आपको कुछ ऐसी विदेशी कपल्‍स की लव स्‍टोरी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्‍होंने काशी आकर अपने प्‍यार को अंजाम दिया।

Asianet News Hindi | Published : Feb 14, 2020 5:49 AM IST / Updated: Feb 14 2020, 11:21 AM IST

17
किसी को अपनी स्टूडेंट से हुआ प्यार तो कोई नर्स को दे बैठा दिल...ऐसी है इन विदेशियों की Love स्टोरी
जापान के अकिओ बीएचयू में जापानी लैंग्‍वेज सिखाते थे। उस समय उनकी क्‍लास में रचिता नाम की लड़की पढ़ती थी। धीरे-धीरे रचिता को अकिओ को पसंद करने लगी। उस समय दोनों में दोस्ती भी हो गई थी। साल 2004 में रचिता दिल्ली पढ़ने चली गई। दूर होने पर दोनों को अपने प्यार का अहसास हुआ और साल 2006 में परिवार की रजामंदी से दोनों ने शादी कर ली।
27
साल 1971 में ब्रिटेन से भारत घूमने आए क्रिस्टोफर काशी आने के बाद यहीं के होकर रह गए। कुछ समय बाद वो काशी के ही एक स्कूल में पढ़ाने लगे। साल 1982 में स्कूल में पढ़ाने के दौरान वो एक बंगाली लड़की गीता को दिल दे बैठे। 1982 में दोनों ने शादी कर ली। वो कहते हैं, गीता कि सादगी मुझे पसंद आ गई थी। बता दें, क्रिस्टोफर और गीता मिलकर काशी में बुक स्‍टॉल पर काम करते हैं। उनके के दो बेटी और एक बेटा है।
37
फ्रांस के मैक्सिको शहर के मोरिस (30) और सुमेन (28) ने 24 जनवरी 2015 को काशी के दशाश्मेध घाट पर बंगाली रीति रिवाज से शादी की थी। मोरिस कहते हैं, 2 साल पहले हमारी मुलाकात मैक्सिको में लोकल ट्रेन में हुई और प्यार हो गया। हमारा मानना था कि काशी पूरे वर्ल्‍ड में सबसे पवित्र नगरी है, इसलिए हमने गंगा घाट से अपनी मैरिज लाइफ की शुरुआत की। शादी से पहले ​हमने एक होटल मे बंगाली शादी देखी थी। इसलिए बंगाली टोपोर (बंगाली दूल्हा शादी के समय सर पर पहनता है) पहनकर शादी की।
47
टोकियो की रहने वाली कोमिको के पिता सेना में ब्रिगेडियर थे। कोमिको अपनी मां के साथ मिलकर एक रेस्टोरेंट चलाती थीं। वो कहती हैं, बात 1958 की है। उस समय अखबारों में एक इंडियन पेंटर की फोटो खूब छपी, रेडियों में भी उसके बारे में बताया जाता था। एक दिन वही पेंटर यानी शांतिरंजन अचानक हमारे रेस्‍टोरेंट में आए। उन्हें देखकर मुझे लगा भगवान ने मुरादें पूरी कर दी। उसके बाद वो कई बार रेस्टोरेंट में आए और धीरे धीरे हम एक दूसरे को पसंद करने लगे। शांतिरंजन ने रिश्ते के लिए मेरे पिता से मुलाकात की, लेकिन उन्होंने सेना के कुछ साथियों के साथ मिलकर उसे खूब धमकाया। शांतिरंजन कहते हैं, मेरे दिल में यही था कि कोमिको को बनारस ले जाऊंगा। वो मेरा प्यार, जीवन सब कुछ है। आखिरकार कोमिको के पिता मान गए और 1960 में हमने काशी आकर शादी कर ली। वर्तमान में दोनों काशी में अपना रेस्टोरेंट चलाते हैं।
57
जापान के टोकियो में नर्सिंग का काम करने वाली शाचिको मुराकोशी 1985 में सारनाथ घूमने काशी आईं थी। एक दिन वो हैंडीक्राफ्ट का सामान खरीदने विनोद जैन की दुकान पर गईं। थोड़ी देर में ही दोनों में अच्छी दोस्ती हो गई। कुछ दिन बाद विनोद को कालरा (डायरिया) हो गया। इसकी जानकारी जब शाचिको को मिली, तो उसने विनोद की सेवा करनी शुरू कर दी। उसने अपने दोस्त का बाथरूम तक साफ किया। यह सब देख विनोद को शाचिको से प्‍यार हो गया। कुछ दिन बाद शाचिको जापान चली गई। जुदाई में विनोद 4 चार घंटे PCO में लाइन लगाकर शाचिको से बात करने का इंतजार करते थे। करीब एक साल तक यह सब चला। 17 फरवरी 1986 को आखिरकार दोनों ने काशी में कोर्ट मैरिज कर ली।
67
जापान की मैगुमी साल 1997 में पहली बार काशी घूमने आई थीं। तभी से व​ह यहीं की होकर रह गईं। म्यूजिकल स्टोर पर कैसेट लेते समय एक बार उसकी मुलाकात संजय नाम के लड़के से हुई। संजय बताते हैं, 2003 में मैगुमी सितार सिखने बंगाली टोला गली में आया करती थीं। उस गली में मेरा म्यूजिकल स्टोर था। आते-जाते हमारी नजरें मिलती थीं और धीरे-धीरे प्यार हो गया। साल 2003 में हमने धूमधाम से शादी की। कालिका गली में दोनों मैगु नाम से कैफे चलाते हैं।
77
जापान की निहो ई वाई ई साल 1995 में काशी घूमने आई थीं। उस समय उनकी मुलाकात सारंगनाथ स्थित मंदिर में बीजेपी पार्षद अजय जैन से हुई। 1995 से 2002 तक दोनों कई बार भारत और जापान में मिलते रहे। 28 नवंबर 2002 को निहो अपने पैरेंट्स के साथ काशी लौटी और हिंदू रीतिवाज से दोनों ने शादी की। अजय ने 2012 में चुनाव लड़ा और विजय हासिल की।
Share this Photo Gallery
click me!
Recommended Photos