हिंदू ही नहीं मुस्लिम भी करते हैं इस मंदिर में पूजा, बहुत रोचक है शिवलिंग से जुड़ा किस्सा
गोरखपुर (Uttar Pradesh). 21 फरवरी को महाशिवरात्रि है। देशभर के शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ पहुंच रही है। आज हम आपको एक ऐसे शिवलिंग के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसपर महमूद गजनवी ने कई बार तोड़ने की कोशिश की। जब शिवलिंग नहीं टूटा तो गजनवी ने इसपर कलमा खुदवा दिया।
यूपी के गोरखपुर में सरया तिवारी नाम का एक गांव है। यहां एक अनोखा स्वयंभू शिवलिंग स्थापित है, जिसे झारखंडी शिव भी कहा जाता है। बताया जाता है कि ये शिवलिंग 100 साल से भी ज्यादा पुराना है। लोगों का मानना है कि यहां मांगी गई मनोकामना जरूर पूरी होती है।
मंदिर की देखरेख करने वाले धरणी राम त्रिपाठी बताते हैं, मंदिर में हिंदू ही नहीं बल्कि मुस्लिम भी आते हैं। शिवलिंग पर उर्दू में लाइलाहाइल्लललाह मोहम्मदमदुर्र् रसूलुल्लाह लिखा है। मुस्लिम शिवलिंग की पूजा के साथ यहां नमाज भी पढ़ते हैं।
पुजारी बताते हैं, जब महमूद गजनवी ने भारत पर आक्रमण किया, तो देश के सभी मंदिरों को लूटकर तबाह कर दिया। उस समय वो गांव से इस शिवलिंग को भी उखाड़ फेंकना चाहता था।
महमूद गजनवी और उसकी सेना ने काफी कोशिश की लेकिन जब शिवलिंग को उखाड़ नहीं पाया तो उसने शिवलिंग पर ही कलमा खुदवा दिया, ताकि कोई हिंदू इसकी पूजा न कर सके।
पुजारी कहते हैं, इस मंदिर पर काफी कोशिश करने के बाद भी कभी छत नहीं बन पाई। ये शिवलिग आज भी खुले आसमान के नीचे है।
मान्यता है कि मंदिर के बगल में एक तालाब है, जिसमें नहाने से कुष्ठ रोग से पीड़ित राजा ठीक हो गए थे। चर्म रोगों से मुक्ति पाने के लिए लोग 5 मंगलवार और रविवार नहाने आते हैं। स्नान ऐसे समय किया जाता है, जिस समय कोई शख्स न देख सके।