वहीं दूसरी समाधि, भूमि समाधि होती है, जहां जमीन में करीब 5 फीट के आसपास गड्डा खोदा जाता है। इसके बाद पार्थिव शरीर को संतों के बताई मुद्र में रख दिया जाता है। संतों और संन्यासियों के मुताबिक, भू-समाधि इसलिए दी जाती है ताकि उनके अनुयायी अपने गुरू के दर्शन और उऩके समक्ष बैठकर पूजा-ध्यान आदि कर सकें। इसके अलावा साधु-संत जब समाधि लेते हैं तो उनको भगवान के चरणों में जगह मिलती है।