कौन है ये गैंगेस्टर मुख्तार अंसारी, जिसे लाने के लिए 100 पुलिस कर्मी, 1 ट्रक पीएसी, 2 सीओ को भेजा गया पंजाब

बांदा (Uttar Pradesh ) । सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 8 अप्रैल तक माफिया डॉन और बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी को बांदा सेंट्रल जेल में शिफ्ट करना है। इस बाबत रविवार को पंजाब पुलिस की तरफ से यूपी पुलिस को पत्र भेजकर मुख्तार को ले जाने की बात कही थी। जिसके बाद अब यूपी पुलिस की भारी-भरकम टीम पंजाब के रोपड़ जेल रवाना हो गई। इसमें दो सीओ समेत 100 पुलिस कर्मियों की टीम सोमवार को पंजाब के लिए निकली है। इस टीम में एक ट्रक पीएसी की जवान भी शामिल हैं। साथ ही एक एम्बुलेंस में जिला अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर एसडी त्रिपाठी के साथ स्वास्थ्य विभाग की टीम भी मौजूद है। हालांकि, सुरक्षा की दृष्टि से और कोई जानकारी साझा नहीं की गई है।

Asianet News Hindi | Published : Apr 5, 2021 7:58 AM IST
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कौन है ये गैंगेस्टर मुख्तार अंसारी, जिसे लाने के लिए 100 पुलिस कर्मी, 1 ट्रक पीएसी, 2 सीओ को भेजा गया पंजाब

ऐसे 2 साल बाद यूपी लाया जा रहा मुख्तार
दो साल में आठ बार यूपी पुलिस की टीम पंजाब के रोपड़ जेल पहुंची, लेकिन हर बार उसके खराब सेहत का हवाला देकर पंजाब पुलिस ने मुख्तार को सौंपने से इनकार कर दिया, जिसके बाद यूपी सरकार ने सुनवाई में देरी को लेकर सुप्रीम कोर्ट दरवाजा खटखटाया था और उसे यूपी लाने की अनुमति मांगी थी। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने 12 अप्रैल तक मुख्तार अंसारी को यूपी भेजने का आदेश दिया था।
 

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विरासत में मिली राजनीति, 5 बार बना विधायक
पांच बार का विधायक मुख्तार अंसारी गाजीपुर का रहने वाला है। उसपर 40 से अधिक गंभीर मामले दर्ज हैं। पूर्वांचल के इस माफिया को राजनीति विरासत में मिली है। उनके दादा मुख्तार अहमद अंसारी अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे, जबकि उनके पिता एक कम्युनिस्ट नेता थे।
 

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हामिद अंसारी से है कनेक्शन
बाहुबली मुख्तार अंसारी के दादा डॉ मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के दौरान 1926-27 में इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। वे गांधी जी के बेहद करीब माने जाते थे। दिल्ली की एक रोड का नाम उनके नाम पर है। भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी मुख्तार के रिश्ते में चाचा लगते हैं।
 

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कॉलेज के ही दिनों से अलग राह चुनी
 कॉलेज में पढ़ाई-लिखाई में ठीक मुख्तार ने अपने लिए अलग राह चुनी। 1970 में आते-आते मुख्तार ने जमीन कब्जाना शुरू कर दिया था। उनके बड़े दुश्मन की तरह बृजेश सिंह खड़े थे, जिसके बीच गैंगवार शुरू हुई थी।

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90 के दशक में चलने लगा था मुख्तार का सिक्का
1988 में पहली बार हत्या के एक मामले में मुख्तार का नाम आया था। हालांकि उनके खिलाफ कोई पुख्ता सबूत पुलिस नहीं जुटा पाई। 1990 दशक में मुख्तार अंसारी जमीनी कारोबार और ठेकों की वजह से अपराध की दुनिया में कदम रख चुका था। पूर्वांचल के मऊ, गाजीपुर, वाराणसी और जौनपुर में उनके नाम का सिक्का चलने लगा था।
 

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1995 में राजनीति में रखा था कदम
1995 में मुख्तार अंसारी ने राजनीति की मुख्यधारा में कदम रखा। 1996 में पहली बार विधान सभा के लिए चुना गया। 2002 बृजेश सिंह से गैंगवार हुआ। दोनों के बीच संघर्ष शुरू हो गया। 2005 में मुख्तार पर मऊ में हिंसा भड़काने के आरोप लगे। इतना ही नहीं, जेल में रहते हुए बीजेपी नेता कृष्णानंद राय की 7 साथियों समेत हत्या का आरोप भी मुख्तार पर लगा।

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