समाजवादी कुनबे में फूटने लगे प्रेम के अंकुर, शिवपाल की विधायकी खत्म करने की याचिका सपा ने ली वापस

लखनऊ(Uttar Pradesh). कभी समाजवादी पार्टी की रीढ़ माने जाने वाले वरिष्ठ नेता शिवपाल सिंह यादव और उनके भतीजे पूर्व सीएम अखिलेश यादव के बीच दूरियां कम होती दिख रही हैं। काफी समय बाद कुछ ऐसा हुआ है जब ये कहा जा रहा है कि समाजवादी कुनबा एक होने की राह पर है। इसकी बानगी ही है जब सपा के आग्रह पर विधानसभा अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित ने गुरुवार को शिवपाल की सदस्यता समाप्त करने के लिए सपा द्वारा दी गई याचिका को वापस कर दिया है। समाजवादी पार्टी से बगावत कर अपनी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बना लेने वाले पूर्व मंत्री शिवपाल सिंह यादव की विधानसभा सदस्यता समाप्त करने के लिए सपा ने तकरीबन 8 माह पूर्व अर्जी दिया था। माना जा रहा है कि इसमें सपा के संरक्षक मुलायम सिंह यादव मुख्य भूमिका में हैं। एशियानेट न्यूज हिंदी ने इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार व राजनैतिक मामलों के जानकार बृजेश सिंह से बात की।

Asianet News Hindi | Published : May 29, 2020 5:07 AM IST

17
समाजवादी कुनबे में फूटने लगे प्रेम के अंकुर, शिवपाल की विधायकी खत्म करने की याचिका सपा ने ली वापस

समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के परिवार में आंतरिक कलह उस समय बढ़ गई जब उनके बेटे व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव व मुलायम के छोटे भाई शिवपाल के बीच विवाद काफी गहरा हो गया। दूरियां इस कदर बढीं कि शिवपाल यादव ने अपनी अलग पार्टी का गठन कर लिया।

27

वर्ष 2017 में यूपी विधानसभा चुनावों के समय से ही मुलायम सिंह यादव के कुनबे में बिखराव शुरू हो गया था। नतीजन शिवपाल को सपा छोड़नी पड़ी और उन्होंने अपनी अलग पार्टी बना ली। लोकसभा चुनाव 2019 में शिवपाल यादव ने भतीजे और भाई के खिलाफ ताल ठोंका था। हांलाकि उन्हें एक भी सीट नही मिली थी। शिवपाल यादव खुद फिरोजाबाद से चुनाव हार गए थे।

37

शिवपाल सिंह यादव समाजवादी पार्टी से इटावा के जसवंतनगर से विधायक हैं। जसवंतनगर से मुलायम सिंह यादव विधायक हुआ करते थे, उनके लोकसभा सदस्य बनने के बाद से शिवपाल सिंह यादव 1996 से वहां से लगातार विधानसभा सदस्य हैं।
 

47

शिवपाल की बगावत के बाद समाजवादी पार्टी के दल नेता रामगोविंद चौधरी ने चार सितंबर, 2019 को दल परिर्वतन के आधार पर शिवपाल यादव की विधानसभा से सदस्यता समाप्त करने की याचिका दायर कर दी । 

57

23 मार्च को राम गोविंद चौधरी ने प्रार्थना पत्र देकर विधानसभा अध्यक्ष से याचिका वापस करने का आग्रह किया था। रामगोविंद चौधरी ने कहा कि याचिका प्रस्तुत करते समय कई महत्वपूर्ण अभिलेख व साक्ष्य संलग्न नहीं किए जा सके थे, ऐसे में याचिका वापस की जाए। लॉकडाउन के कारण विधानसभा सचिवालय बंद रहने से उक्त प्रार्थनापत्र पर फैसला नहीं हो सका था।

67

वरिष्ठ पत्रकार व राजनैतिक मामलों के जानकार बृजेश सिंह ने एशियानेट न्यूज हिंदी से बातचीत के दौरान बताया कि इस पूरे घटनाक्रम में सबसे बड़ी भूमिका में खुद 'नेता जी' मुलायम सिंह यादव हैं। वह शुरू से ही बेटे व भाई के बीच उपजे विवाद के बीच खड़े थे। उन्होंने दोनों को मिलाने के लिए हरसम्भव प्रयास किया है। 

77

वरिष्ठ पत्रकार बृजेश सिंह का कहना है "मुलायम सिंह यादव का अपने बेटे अखिलेश यादव से लगाव होना लाजिमी है, लेकिन उनका लगाव शिवपाल यादव जैसे उस भाई से भी है जो हर कदम पर, हर संघर्ष में उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े थे और पार्टी को उंचाई पर पहुंचाने के लिए हरसम्भव कोशिश की है। आने वाले समय में अगर अखिलेश और शिवपाल के बीच सबकुछ सामान्य होता है तो निश्चित ही इससे समाजवादी पार्टी को फायदा होगा। 
 

Share this Photo Gallery
click me!
Recommended Photos