डिप्टी एसपी बना पोस्टमैन का बेटा, सैलरी का 60 फीसदी लाल को अफसर बनाने खर्च कर रहे थे पिता

लखनऊ(Uttar Pradesh). किसी ने सच ही कहा है कि सफलता किसी सुविधा की मोहताज नहीं होती है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है यूपी पीसीएस-2018 में डिप्टी एसपी के पद पर चयनित हुए दीपक तिवारी ने। दीपक के पिता पोस्टमैन और मां गृहणी हैं। कुल मिलाकर परिवार का खर्च पिता की छोटी से सैलरी पर ही डिपेंड है। Asianet News Hindi ने डिप्टी एसपी पद पर चयनित दीपक तिवारी से बात की। इस दौरान उन्होंने अपने संघर्षों की कहानी शेयर किया।
 

Asianet News Hindi | Published : Sep 12, 2020 6:01 AM IST / Updated: Sep 12 2020, 11:51 AM IST
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डिप्टी एसपी बना पोस्टमैन का बेटा, सैलरी का 60 फीसदी लाल को अफसर बनाने खर्च कर रहे थे पिता

दीपक मूलतः यूपी के प्रतापगढ़ जिले के रहने वाले हैं। प्रतापगढ़ के आसपुर देवसरा विकास खंड के ढांढर गांव के रहने वाले सुरेश चंद्र तिवारी पोस्टमैन हैं। उनके तीन बच्चे हैं। सबसे बड़ा दीपक तिवारी और दूसरे नम्बर पर अंकित तिवारी और फिर बेटी आंचल तिवारी हैं।

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दीपक अपने छोटे भाई अंकित के साथ प्रयागराज में रहकर सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहे हैं। दीपक इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से पीजी करने के बाद रिसर्च कर रहे हैं। उन्होंने UPPCS-2018 में सफलता हासिल करते हुए डिप्टी एसपी का पद हासिल करने में सफलता पाई है।

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दीपक ने बातचीत के दौरान बताया कि उनके पिता की सैलरी 18 हजार रूपए है। वह अपने छोटे भाई अंकित के साथ प्रयागराज में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं। पिता जी अपनी सैलरी का 60 फीसदी उन्हें भेज देते हैं। जिससे किसी तरह पढाई और कमरे का किराया निकल जाता है।

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उन्होंने बताया कि उनकी बहन आकांक्षा बीएड कर रही हैं। उसकी पढाई का खर्च और घर के रोजमर्रा के खर्च के लिए भी पिता जी की सैलरी पर ही डिपेंड रहना पड़ता है। लेकिन पिता जी कम सैलरी के बाद भी बुलंद हौसलों के साथ डटे हुए हैं। उनका बस एक सपना है कि अपने सारे बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाकर काबिल बनाना है।

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मेरे भी मन में घर की मुसीबतों को देखकर जज्बा जगा कि मुझे अफसर बनना है। इसलिए मैंने शुरू से ही एक लक्ष्य बनाकर पढ़ाई की। ये मेरा तीसरा प्रयास था। पहली बार मैं केवल ऐसे ही क्षमता आंकलन करने के लिए परीक्षा देने चला गया था। दो बार मैंने सीरियस होकर एग्जाम की तैयारी की।

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दीपक का कहना है कि ये माता-पिता, बड़ों और गुरुजनों का आशीर्वाद है कि मुझे इस एग्जाम में सफलता मिली। आगे चलकर IAS बनने का ख़्वाब है. उसे भी पूरा करने के लिए प्रयास जरूर करूंगा।
 

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