बच्चे के पास बोरवेल में रस्सी से दिया गया बिस्कुट-दूध, रात 2.20 तक थी उम्मीद लेकिन सुबह 8.44 पर वो भी टूट गई..

महोबा (Uttar Pradesh) । बोरवेल में गिरे 6 साल के घनेंद्र की आखिरकार मौत हो गई। 22 घंटे तक चले  रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद उसका शव बाहर निकाला जा सका। बताते हैं कि रात 2.20 बजे तक उम्मीद थी कि प्रशासन इस मासूम को बचा लेगा, लेकिन अचानक बच्चे की आवाज आने बंद हो जाने और पानी होने के कारण ऐसा संभव नहीं हो सका और आखिर में आज सुबह 8 बजकर 44 मिनट पर बोरवेल से घनेंद्र को किसी तरह बाहर निकाला गया। मगर, डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। यह घटना कुलपहाड़ इलाके की है। जिसकी हम आपको तस्वीरें दिखा रहे हैं, साथ ही घटना स्थल पर इस दौरान क्या गतिविधियां रहीं के भी बारे में बता रहे हैं।

Asianet News Hindi | Published : Dec 3, 2020 6:54 AM IST / Updated: Dec 03 2020, 01:19 PM IST
114
बच्चे के पास बोरवेल में रस्सी से दिया गया बिस्कुट-दूध, रात 2.20 तक थी उम्मीद लेकिन सुबह 8.44 पर वो भी टूट गई..


जैतपुर विकासखंड के बुधौरा गांव के निवासी किसान भगीरथ कुशवाहा और उनकी पत्नी के साथ बुधवार को खेत में गेहूं की सिंचाई कर रहे थे। जब उन्हें फुरसत मिली तो अपने बेटे घनेंद्र को खोजने लगे, जो उनके ही साथ गया था। काफी खोजबीन के बाद बोरवेल के पास पहुंचने पर बेटे की रोने की आवाज सुनकर चीख पड़े। 

214

भगीरथ कुशवाहा के मुताबिक उनका मासूम बेटा खेलते-खेलते खेत पर करीब एक फीट की चौड़ाई वाले बोरवेल में गिर पड़ा था। वहीं, मौके पर पहुंचे किसानों के मुताबिक बोरवेल 60 फीट गहरा था। अब मिट्टी पडने से करीब 40 फीट गहराई होगी, जिसमें पानी नहीं था।

314

आनन-फानन में लोगों ने घटना की जानकारी बेलाताल पुलिस चौकी को थी, जिसके बाद प्रशासन में हड़कंप मच गया था।
 

414

पुलिस फोर्स, कुलपहाड़ एसडीएम मोहम्मद अवेश व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बेलाताल के डॉक्टर व अन्य अफसर मौके पर पहुंचे। फायर ब्रिगेड को भी बुलाकर स्थानीय प्रशासन ने बोरवेल के पास जेसीबी से खोदाई शुरू कराई। 

514


मासूम के पिता भागीरथ कुशवाहा, मां क्रांति देवी, दोनों बहनें नित्या व रेखा के अलावा दादी आशारानी, बाबा कालीचरन दोपहर से सुबह तक मौके पर डटे थे।
 

614

गांव के लोग और रिश्तेदार इन लोगों को ढांढस बंधाते रहे कि भगवान पर विश्वास रखें, घनेंद्र सकुशल बोरवेल से निकल आएगा, पर जैसे-जैसे रात होने लगी, वैसे-वैसे ही परिवार को अनहोनी की आशंका भी सताने लगी।

714


मासूम घनेंद्र की मां, दादी, बड़ी बहन नित्या खेत में ही उसके सकुशल बोरवेल निकलने के लिए हाथ जोड़कर बैठ गईं। सभी भगवान से घनेंद्र की जान की रक्षा के लिए प्रार्थना करती रहीं।

814


गांव की कई महिलाओं ने भी ईश्वर से घनेंद्र के लिए प्रार्थना कर रही थी। हर किसी को मासूम की चिंता सता रही थी। 

914


प्रशासन भी दो एंबुलेंस वहां खड़ी करवा लिया था, ताकि घनेंद्र को बोरवेल से निकालने के बाद जल्द अस्पताल पहुंचाया जा सके। साथ ही उसके परिवार के किसी सदस्य की तबीयत बिगड़ती है, तो उसे एंबुलेंस से अस्पताल ले जाया जा सके। 

1014

बताते कि जैसे-जैसे रात हो रही थी वैसे-वैसे घनेंद्र की जान बचाने का काम तेजी पकड़ रहा था। दोपहर में दो जेसीबी गड्ढा खोदने के लिए मंगाई गईं।

1114

शाम पांच बजे दो और जेसीबी मंगाई गई। शाम सात बजे फिर एक जेसीबी मंगाई गई। शाम 7.27 बजे छठवीं जेसीबी वहां पहुंची और बोरवेल के पास गड्ढा खोदने का काम शुरू हुआ।
 

1214


घनेंद्र के बोरवेल में गिरने की खबर पाकर बुधौरा समेत आसपास के गांवों के सैकड़ों लोग मौके पर जुट गए थे। राहत व बचाव कार्य में दिक्कत होने पर पुलिसकर्मियों ने हल्का बल प्रयोग कर भीड़ को बोरवेल से करीब 25 मीटर दूर करना पड़ा था। साथ ही वहां रस्सा बांध कर भीड़ को बोरवेल के पास आने से रोका गया था।

1314


रात करीब 02: 20 पर एसडीआरएफ टीम को खोदाई के दौरान बोरवेल में फंसे बच्चे के पास पहुंचने से पहले ही पानी मिला। जिस कारण से रेस्क्यू ऑपरेशन में कुछ दिक्कतें महसूस हो रही थीं। एसडीआरएफ मीडिया सेल के शिव किशोर पांडेय ने बताया कि अभी 30 मिनट का समय और लगने की बात टीम सदस्यों ने बताई है। लेकिन, ऐसा नहीं हो सका।

1414


बचाव टीम ने बोरवेल के समानांतर तीन फीट चौड़ा गड्ढा खोदा। इसमें पानी रोक करके अब यहां से एल साइज के आकार की सुरंग बनाकर टीम बच्चे तक पहुंच बनाने का प्रयास की। किसी तरह वह सुबह 8.44 बजे बच्चे तक पहुंची और उसे बाहर निकाला, लेकिन मौके पर मौजूद चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

Share this Photo Gallery
click me!

Latest Videos