अनोखी शादी: 65 साल की उम्र में दूल्हा बन 60 की दुल्हन के साथ लिए 7 फेरे, 40 साल से लिव-इन में थे साथी

अमेठी (उत्तर प्रदेश). बॉलीवुड की सुपरहिट फिल्म 'ओम शांति ओम' तो कई लोगों ने दिखी होगी। जिसमें शाहरुख खान का बोला गया एक डायलॉग खूब चर्चित हुआ था। ''किसी चीज को अगर दिल से चाहो तो पूरी कायनात उसे मिलाने में लग जाती है'' यह पंक्तियां, यूपी के अमेठी में शादी करने वाले बुजुर्ग कपल पर एकदम सटीक बैठती हैं। यह शादी इस समय क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है। यहां एक 65 साल के बुजुर्ग ने 60 साल की महिला से विवाह किया है। जो लोग इस शादी में घराती बने हुए थे, वही बराती थे। जिसमें तीन पीढ़ियां शामिल हुईं। 
 

Asianet News Hindi | Published : Jun 21, 2021 1:42 PM IST / Updated: Jun 21 2021, 07:18 PM IST
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अनोखी शादी: 65 साल की उम्र में दूल्हा बन 60 की दुल्हन के साथ लिए 7 फेरे, 40 साल से लिव-इन में थे साथी

दरअसल, यह अनोखी शादी  अमेठी में जामो थाना क्षेत्र के खुटहना गांव में रविवार रात को हुई। जहां  65 साल के मोतीलाल ने 60 साल की मोहिनी के साथ 7 फेरे लिए और पति-पत्नी बन गए। हालांकि, वह पिछले 28 साल से लिव-इन-रिलेशनशिप में रहे थे। लेकिन शादी नहीं की थी। लेकिन अब पूरे हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार उनका विवाह हुआ है।

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मोतीलाल और मोहनी की शादी में रिश्तेदारों और नातेदारों की भीड़ जुटी थी। दोनों के बेटा- बेटियों से लेकर बहू और नाती-पोते खुशियां मनाते दिखाई दिए। सभी लोग इस बुजुर्ग दंपत्ति की बारात में शामिल हुए। गांव के लोगों के लिए यह शादी किसी बड़े उत्सव से कम नहीं थी। शादी में ढोलक की थाप पर लोगों ने जमकर डांस भी किया।

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मोतीलाल की दो बेटियां हैं, जिनके नाम प्रिया और सीमा है। दोनों ने कहा कि वह अपने पिता की इस खुशी बहुत खुश हैं। हम बहुत किस्मत वाले हैं जो पिता की बारात में बाराती बने हैं। हमारी खुशी का कोई ठिकाना नहीं है। ग्रामीणों ने बताया कि बुजुर्ग दंपत्ति पिछले 40 वर्षों से बगैर शादी के एक दूसरे के साथ रह रहे थे। समय बीतता गया और दोनों के बच्चे भी हो गए।

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बता  दें कि खुद मोतीलाल ने अपनी शादी के कार्ड पूरे गांव और रिश्ते-नातेदारों में बांटे। साथ ही सभी के लिए भोज की भी व्यवस्था की गई। रात को मोतीलाल और मोहिनी सात फेरे लिए और गांव के लोगों ने इसे धार्मिक मान्यता दी। शादी कराने वाले पंडित तेज राम पाण्डेय ने बताया कि हिंदू धर्म में मान्यता है कि इनकी मृत्यू हो जाने पर इनका श्राद्ध नहीं हो पाता, क्योंकि बेटे पिंडदान नहीं कर पाते। अब वह विवाह के बाद वह सारे क्रियाक्रम के अधिकारी हैं।

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