Published : Nov 12, 2019, 09:12 PM ISTUpdated : Nov 13, 2019, 11:24 AM IST
वाराणसी (Uttar Pradesh). भोले की नगरी काशी में मंगलवार (12 नवंबर) को धूमधाम से देव दीपावली मनाई गई। गंगा किनारे कश्मीर के लाल चौका के स्तंभ के साथ दिल्ली के इंडिया गेट का प्रतिरूप देखने को मिला। शीतला और दशाश्मेध घाट पर लाखों भक्तों की भीड़ उमड़ी। 84 घाटों और कुंडों में 11 लाख से ऊपर दिए जलाए गए हैं। विदेशी सैलानियों ने भी देव दीपावली में हिस्सा लिया और दीप जलाए। बता दें, 2020 में इसे गिनिज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल करने की तैयारी है।
विदेशी सैलानियों ने भी देव दीपावली में हिस्सा लिया और दीप जलाए।
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शीतला और दशाश्मेध घाट पर लाखों भक्तों की भीड़ उमड़ी।
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गंगा किनारे कश्मीर के लाल चौका का प्रतिरूप देखने को मिला।
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देवताओं ने त्रिपुरासुर के वध पर खुशी जाहिर करते हुए शिव की नगरी काशी में दीप दान किया। कहा जाता है कि तभी से काशी में कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव-दिवाली मनाने की परंपरा चली आ रही है। शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि इस दिन देवी-देवता पृथ्वी पर आते हैं। इस दिन पूजा-पाठ करने से लंबी उम्र और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।
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शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि इस दिन देवी-देवता पृथ्वी पर आते हैं। इस दिन पूजा-पाठ करने से लंबी उम्र और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।
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पौराणिक कथा के अनुसार, त्रिपुरासुर ने देवताओं को स्वर्ग लोक से बाहर निकाल दिया था। सभी देवता त्रिपुरासुर से परेशान होकर बचने के लिए भगवान शिव की शरण में गए। जिसके बाद भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध कर दिया। जिस दिन इस राक्षस का वध हुआ उस दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा थी।
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गंगा किनारे दिल्ली के इंडिया गेट का प्रतिरूप देखने को मिला।
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2020 में काशी की देव दीपावली को गिनिज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल करने की तैयारी है।