कानपुर (Uttar Pradesh) । विकास दुबे एनकाउंटर को लेकर यूपी पुलिस पर सवाल उठाए जा रहे हैं। इस एनकाउंटर को फर्जी माना जा रहा है। वहीं, एनकाउंटर विवाद के बाद यूपी सरकार ने इसकी जांच के लिए एसआईटीई गठित की है। बता दें कि पुलिस के मुताबिक एनकाउंटर में कुछ पुलिसवालों को गंभीर जख्मी हुए थे। गंभीर जख्मी बताए गए यूपी पुलिस के दो सिपाही विमल कुमार और सेंगर को कम्यूनिटी अस्पताल से हैलेट अस्पताल रेफर किया गया था। मगर, दोनों शूटआउट के एक दिन बाद अपने घर चले गए। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक शनिवार दोपहर विमल कुमार और सेंगर को अस्पताल के बाहर टहलते देखा गया। करीब 5.30 बजे के आसपास सेंगर मोटरसाइकिल चलाकर अस्पताल से बाहर चला गया, जबकि विमल कुमार दूसरे की मोटरसाइकिल पर बैठकर निकल गया। ऐसे में पुलिस की लोगों के आरोपों को और बल मिल रहा है, क्योंकि यदि कोई एनकाउंटर में गंभीर रूप से घायल हुआ तो हैलट जैसे अस्पताल में भर्ती कराया गया और एक ही दिन बाद बाइक चलाकर कैसे जा सकता है। वहीं, अधिकारियों का कहना है कि इस समय कुछ संभावित बिंदुओं पर जांच की सकती हैं, जो संभवत ये हैं।
विकास दुबे व उसके साथियों की एक साल की सीडीआर (कॉल डिटेल रिकार्ड) का भी परीक्षण होगा। विकास व उसके साथियों के संपर्क में आए पुलिसकर्मियों के विरुद्ध उनसे संलिप्तता के साक्ष्य तलाशे जाएंगे।
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विकास दुबे व उसके गिरोह के सदस्यों के खिलाफ गैंगेस्टर एक्ट, गुंडा एक्ट, एनएसए व अन्य किन अधिनियम के तहत कार्रवाई की गई और इन मामलों में की गई कार्रवाई में किस स्तर पर लापरवाही बरती गई।
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विकास दुबे के विरुद्ध कितनी जन-शिकायतें आईं और थानाध्यक्ष तथा अन्य अधिकारियों ने उनमें क्या जांच की और क्या तथ्य पाए और क्या कार्रवाई की।
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आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के दिन विकास व उसके साथियों के पास मौजूद हथियारों के सूचना संकलन में किस स्तर पर लापरवाही हुई।
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विकास दुबे व उसके साथियों के नाम कितने शस्त्र लाइसेंस और शस्त्र हैं। उनके शस्त्र लाइसेंस की संस्तुति किस स्तर से की गई और किन कारणों से लाइसेंस निरस्त नहीं किए गए। इसमें किनकी भूमिका रही।
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विकास दुबे व गिरोह की अपराध से जुटाई गई संपत्तियों कितनी हैं। काली कमाई से किए जा रहे कारोबार व आर्थिक गतिविधियों का परीक्षण करने के साथ इसमें पुलिस अधिकारियों व कर्मियों की भूमिका व संलिप्तता।
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किन सरकारी तथा गैर सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा किया और उसमें किन-किन अधिकारियों की भूमिका थी। अवैध कब्जा हटवाने के जिम्मेदार किन अधिकारियों ने कार्रवाई नहीं की।