पुजारी दिनेश दास ने बताया कि विवाह के बाद जब सीता जी अयोध्या आईं तो राजदरबार में विचार किया गया कि उनके निवास, रसोई व स्नान के लिए पवित्र स्थान का चयन किया जाए। इसके लिए उनके कुलगुरु ने के कहने पर उनके निवास के लिए सीता महल, रसोई के लिए सीता रसोई और स्नान के लिए सीता कुंड बनवाया गया था।