यह रही CAA के चलते मोदी के 'विरोधियों' से हाथ मिलाने वाले प्रशांत कुमार की सियासी कुंडली

दिल्ली. कुछ महीने बाद पश्चिम बंगाल में होने जा रहे विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक घमासान शुरू हो गया है। यहां कुल 294 सीटें हैं। इसमें से 2 सीटों पर सदस्य मनोनीत होते हैं। यानी 292 सीटों पर इलेक्शन होता है। 2016 के विधानसभा इलेक्शन में भाजपा को 10.16 फीसदी वोट के साथ मात्र 3 सीटें मिली थीं। जबकि टीएमसी को 211 सीटें मिली थीं। 2014 लोकसभा चुनाव में भाजपा को 17 फीसदी वोट के साथ 2 सीटें मिली थीं। लेकिन 2019 में 40.2 फीसदी वोट के साथ ये बढ़कर 18 सीटें हो गईं। जबकि टीएमसी को 2014 के लोकसभा में 34 और 2019 में 22 सीटें ही मिलीं। अगर NRC-CAA मुद्दे पर बहुसंख्यक वोट एकतरफा गिरते हैं, तो 70 फीसदी वोट सीधे भाजपा को मिलेंगे। अब इसी मुद्दे पर चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने भविष्यवाणी की है कि भाजपा को बंगाल में 10 सीटें भी नहीं मिलेंगी। प्रशांत किशोर मानते हैं कि अमित शाह के दौरे से भाजपा को कोई खास फायदा नहीं होने वाला है। आइए जानते हैं प्रशांत किशोर की पूरी कुंडली...

Asianet News Hindi | / Updated: Dec 21 2020, 09:50 PM IST

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यह रही CAA के चलते मोदी के 'विरोधियों' से हाथ मिलाने वाले प्रशांत कुमार की सियासी कुंडली

प्रशांत किशोर 2014 से पहले से भाजपा से जुड़े थे। 2011 में गुजरात के एक बड़े आयोजन 'वाइब्रैंट गुजरात' की रणनीति इन्होंने ही तैयार की थी।2012 के गुजरात विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर की टीम ने बीजेपी के लिए काम किया था। इसमें नरेंद्र मोदी तीसरी बार मुख्यमंत्री बने थे।

1977 को जन्मे प्रशांत किशोर बिहार के रोहतास जिले से सासा राम के नजदीक स्थित गांव कोनार से हैं। इन्होंने हैदराबाद से इंजिनियरिंग की पढ़ाई की। प्रशांत किशोर ने 2018 में जेडीयू से अपना राजनीतिक करियर शुरू किया। लेकिन CAA के मुद्दे पर इन्हें पार्टी से निकाल दिया गया। अब ये ममता से जुड़े हैं।

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2014 के आम चुनाव से पहले प्रशांत किशोर ने एक मीडिया और प्रचार कंपनी-सिटीजंस फॉर अकाउंटेबल गवर्नेंस(CAG) बनाई थी। लेकिन चुनाव के बाद CAG को आईपैक यानी पॉलिटिकल एक्शन कमेटी में बदल दिया। इस कमेटी ने बिहार और पंजाब में चुनावी रणनीतिकार एजेंसी के तौर पर काम किया। अब ये पश्चिम बंगाल में ममता बैनर्जी के साथ जुड़े हैं।

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दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर ने CAA के मुद्दे को आधार बनाकर रणनीति बनाई और आप को जितवाया। प्रशांत किशोर कभी UNICEF में काम करते थे। वे ब्रॉन्डिंग संभालते थे। पीके के नाम से पहचाने जाने वाले प्रशांत किशोर अफ्रीका में यूनाइटेड नेशन के साथ करीब 8 साल जुड़े रहे।

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2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर ने जेडीयू, आरजेडी और कांग्रेस के महागठबंधन के साथ काम किया। इनका एक नारा काफी चर्चित हुआ था-'बिहार में बिहार है, नीतीशै कुमार है!' यह महागठबंधन की जीत हुई थी।

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2016 में प्रशांत किशोर पंजाब विधानसभा में कैप्टन अमरिंदर सिंह से जुड़े। यहां कांग्रेस जीती। यह और बात है कि 2017 में यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ 7 सीटें दिलवा सके।

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दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले प्रशांत किशोर आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस के चुनावी सलाहकार बने। यहां पार्टी को जीत दिलवाई।

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प्रशांत किशोर को फोर्ब्स मैग्जीन में दुनिया के टॉप 20 पॉवरफुल लोगों की लिस्ट में शामिल  किया गया था। पीके 16वें स्थान पर थे। 

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