लॉकडाउन में महिला को शुरू हुई प्रसव पीड़ा, गर्भ से निकली बेटी को देख चीख उठी मां, लेकिन अंधविश्वास की हद देखिये

हटके डेस्क: किसी भी महिला के लिए मां बनने का अहसास सबसे खूबसूरत होता है। मां गर्भ में अपने बच्चे को 9 महीने रखती है। इस दौरान महिला हर तरह की सावधानी बरतती है, जिससे कि बच्चे को कोई नुकसान ना पहुंचे। लेकिन कई बार अनहोनी हो जाती है। भारत के मध्यप्रदेश से एक ऐसा ही मामला सामने आया। यहां विदिशा के सिरोंज तहसील में एक महिला ने जैसे ही अपनी बेटी को जन्म दिया, उसके होश उड़ गए। पैदा हुई बच्ची के ना तो हाथ थे ना पैर। बेटी का जन्म एक रेयर जेनेटिक डिसऑर्डर टेट्रा एमेलिया के साथ हुआ। इस कंडीशन में बच्चों के हाथ-पैर का विकास नहीं हो पाता है। डॉक्टर्स ने उसे स्वस्थ घोषित किया है लेकिन अभी कुछ समय तक उसे निगरानी में रखा जाएगा। 
 

Asianet News Hindi | Published : Jun 28, 2020 3:30 AM IST / Updated: Jun 28 2020, 10:48 AM IST
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लॉकडाउन में महिला को शुरू हुई प्रसव पीड़ा, गर्भ से निकली बेटी को देख चीख उठी मां, लेकिन अंधविश्वास की हद देखिये

इंडिया के एमपी में एक बच्ची के जन्म से सनसनी फ़ैल गई। बच्ची का जन्म बिना हाथ-पैर के हुआ था। उसके जन्म ने डॉक्टर्स सहित घरवालों को भी हैरान कर दिया। बच्ची जिस हालत में पैदा हुई, उसके बाद आसपास के लोगों में इसके चर्चे शुरू हो गए। कुछ उसे देवी का अवतार भी बताने लगे। 

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रिपोर्ट के मुताबिक, 28 साल की इस महिला ने विदिशा के सिरोंज तहसील में बच्ची को जन्म दिया था। बच्ची टेट्रा एमेलिया नाम के डिसऑर्डर के साथ पैदा हुई। उसके ना हाथ हैं ना पैर। 

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सामने आई तस्वीरों में बच्ची एक चादर में लिपटी नजर आई। उसे एक महिलाने अपनी गोद में पकड़ रखा है। बच्ची का जन्म सिरोंज के राजीव गांधी स्मृति अस्पताल में हुआ। अभी तक के जांच में बच्ची बिलकुल सुरक्षित है लेकिन डॉक्टर्स ने उसे निगरानी में रखने का फैसला किया है। 
 

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भोपाल के डॉक्टर प्रभाकर तिवारी ने कहा कि दुनिया में 1 लाख बच्चों में किसी एक के साथ ऐसी समस्या देखने को मिलती है। उन्होंने बताया कि उनके अब तक के करियर में ऐसा पहला मामला है। 

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हालांकि, दुनिया में इस सिन्ड्रॉम के साथ कई अन्य बच्चे भी पैदा हुए हैं। इसमें साउथ कैरोलिना में रहने पैदा हुए विल्सन भी शामिल है। जब  विल्सन की मां 5 महीने की गर्भवती थी, तब अल्ट्रासाउंड में उसे पता चला कि उसके बच्चे के हाथ-पैर विकसित नहीं हो रहे। 

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विल्सन की मां को डॉक्टर्स ने अबॉर्शन का ऑप्शन दिया था लेकिन जैस्मिन ने उसे नहीं माना। अपने प्रेमी के साथ मिलकर उसने बच्चे को जन्म देने का फैसला किया। 
 

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जब विल्सन का जन्म हुआ तब डॉक्टर्स ने कहा था कि वो जिन्दा नहीं रह पाएगा। लेकिन विल्सन ने हर बात को झठला दिया। आज मां-बाप मिलकर अपने बच्चे की देखभाल कर रहे हैं।  
 

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इस सिंड्रोम से ग्रस्त औस्ट्रेलिया के निकोलस जेम्स वुजिसिक का जन्म 1982 में हुआ था। आज वो चार बच्चों के पिता हैं। साथ ही मोटिवेशनल स्पीकर के रूप में उन्होंने अपनी पहचान बनाई है। 
 

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जेम्स को बचपन में बच्चे काफी चिढ़ाते थे। इस कारण 10 साल की उम्र में जेम्स ने आत्महत्या करने की भी कोशिश की थी। लेकिन फिर धीरे-धीरे जिंदगी के प्रति उनका नजरिया बदलने लगा। 

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जेम्स अभी तक 44 से अधिक देशों में लोगों को उम्मीद की रौशनी में जीना सीखा चुके हैं। उनकी लाइफ पार्टनर उनका काफी साथ देती है। जेम्स के मुताबिक, हाथ-पैर ना होना जिंदगी खत्म करने का इशारा नहीं है। अगर आपमें लगन है तो इनके बिना भी जिंदगी जी सकती है। 
 

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