दिल्ली हिंसा के बाद अब नालों में टटोली जा रही लाशें, इस हाल में निकल रही बाहर कि देखा भी ना जा सके

नई दिल्ली: आखिरकार 23 फरवरी से नागरिकता संशोधन कानून को लेकर चल रहा विवाद थम गया। 38 लोगों की जान की आहुति लेने के बाद किसी भी समुदाय के लोग देश से निकाले तो नहीं गए, लेकिन दंगों में जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों को हमेशा के लिए गम मिल गया। अपनों को खोने के बाद अब जो मंजर दिल्ली में देखने को मिल रहा है वो दिल को झकझोर देने वाला है। 

Asianet News Hindi | Published : Feb 28, 2020 5:03 AM IST / Updated: Feb 28 2020, 04:30 PM IST

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दिल्ली हिंसा के बाद अब नालों में टटोली जा रही लाशें, इस हाल में निकल रही बाहर कि देखा भी ना जा सके
दंगों में जान गंवाए शख्स के परिजन रोते हुए। आंसुओं का ये सैलाब देख किसी का भी कलेजा मुंह को आ जाए।
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दंगों में जान गंवाने के बाद विलाप करते लोग। इस तस्वीर ने विदेशी मीडिया का भी सीना चीर कर रख दिया।
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हिंसा थम गई लेकिन अब नालों से लाशें निकल रही हैं। हैवानों ने जानवरों की तरह लोगों को मौत के घाट उतार नाले में फेंक दिया।
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हिंसा में किसी ने अपना बेटा खोया तो किसी ने बच्चा। दर्द हर तरह है। चाहे वो किसी भी समुदाय का हो।
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नागरिकता को लेकर चाहे जो भी फैसला आए। इस हिंसा ने इंसानियत को मरते देख लिया।
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अभी तक हिंसा में 38 लोगों ने जान गंवाई है। लेकिन अभी इसका आंकड़ा और बढ़ सकता है।
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परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है सभी के दिल में टीस तो है लेकिन ये उनके दर्द को कम नहीं कर सकता।
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जिन गाड़ियों को भारत में पैसे जमा कर खरीदते हैं, उन्हें कुछ ऐसे जला दिया गया कि लोग पहचान भी नहीं पाए।
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दिल्ली पुलिस ने अब तक 130 लोगों को गिरफ्तार किया है। 400 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया गया है। वहीं, अब तक दंगों के लिए 48 एफआईआर दर्ज हुई हैं।
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आम आदमी पार्टी के पार्षद ताहिर हुसैन और उनके सहयोगियों पर आईबी के अफसर अंकित शर्मा की हत्या का मामला दर्ज किया गया है। हालांकि, अभी ताहिर की गिरफ्तारी नहीं हुई है।
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शर्मा और दंगों के केस क्राइम ब्रांच और एसआईटी को सौंप दिए गए हैं। एजेंसियों ने जांच भी शुरू कर दी है। दिल्ली पुलिस ने सोमवार को दावा किया था कि दंगे सुनियोजित तरीके से फैलाए गए हैं।
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हिंसाग्रस्त इलाकों से बड़ी मात्रा में पेट्रोल बम, रेहड़ी से बने पेट्रोल बम लॉन्चर मिलने से इस साजिश की आशंका और पुख्ता हो रही है। कहा जा रहा है कि ये सब एक रात में नहीं बनाया जा सकता।
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उधर, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हिंसा में जान गंवाने वालों के परिजनों को 10-10 लाख का मुआवजा देने का मांग किया है। इसके अलावा जिनके घर और दुकानें जल गईं हैं, उन्हें पांच लाख रुपए की आर्थिक सहायता मिलेगी।
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इसके अलावा सरकार ने यह भी साफ कर दिया है कि घायलों का प्राइवेट अस्पताल में इलाज का खर्चा भी उठाया जाएगा। रेस्क्यू और रिलीफ अभियान को देखने के लिए सरकार की ओर से 18 एसडीएम तैनात किए गए हैं।
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दिल्ली के एलजी अनिल बैजल ने गुरुवार को स्थिति का जायजा लिया। साथ ही उन्होंने सुरक्षाबलों की तैनाती जारी रखने और पेट्रोलिंग करते रहने का आदेश दिया है।
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बता दें कि यह हिंसा पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद और उसके आसपास के इलाकों में हुई। दरअसल, 22 फरवरी को देर रात जाफराबाद में मेट्रो स्टेशन के पास कुछ महिलाएं नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन करने बैठीं थीं।
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ये प्रदर्शन 23 फरवरी को भी जारी रहा। 23 फरवरी की शाम को इस प्रदर्शन के पास नागरिकता कानून के समर्थन में कुछ लोग मौजपुर में इकट्ठा हुए थे।
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दोनों गुटों में नारेबाजी के बाद हिंसक झड़प हुई। दोनों ओर से पथराव भी हुआ। इसके बाद पुलिस ने वहां पहुंच कर स्थिति काबू में की। 23 फरवरी की रात को उपद्रवियों ने फिर हिंसा शुरू की।
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मौजपुर, करावल नगर, बाबरपुर, चांद बाग में पथराव और हिंसा की घटनाएं सामने आईं। प्रदर्शनकारियों ने कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया।
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हिंसा 24 फरवरी यानी सोमवार को भी जारी रही। बाबरपुर करावल नगर, शेरपुर चौक, कर्दमपुरी और गोकलपुरी में भी हिंसा हुई। यहां उपद्रवियों ने पेट्रोल पंप में आग लगा दी।
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दुकानों में तोड़फोड़ की। प्रदर्शनकारियों ने हाथ में तलवार और बंदूकें भी लहराईं।
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यह हिंसा उत्तर पूर्वी दिल्ली के कई इलाकों में हिंसा फैल गई। भजनपुरा में बस समेत कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया।
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पेट्रोल पंप में भी आग लगा दी गई। हिंसा में एक पुलिसकर्मी रतनलाल की मौत हो गई, जबकि डीसीपी घायल हो गए।
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उत्तर पूर्वी दिल्ली के इन इलाकों में तीसरे दिन भी हिंसा जारी रही। गोकलपुरी इलाके में टायर मार्केट को उपद्रवियों ने आग के हवाले कर दिया। इसके अलावा कर्दमपुरी, मौजपुर, ब्रह्मपुरी, गोकुलपुरी, ज्योति नगर समेत पूरे उत्तर पूर्वी दिल्ली में दिनभर हिंसा का सिलसिला चलता रहा।
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आम आदमी पार्टी के पार्षद ताहिर हुसैन की छत पर बड़ी मात्रा में पेट्रोल बम भी मिले।
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यह हिंसा नागरिकता कानून का विरोध और समर्थन कर रहे दोनों पक्षों में झड़प के बाद हुई। बताया जा रहा है कि हिंसा के लिए दोनों पक्षों के लोग जिम्मेदार है।
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चाहे वजह जो रही हो, इस हिंसा ने इंसानों को भी जानवर बना दिया।
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