Published : Aug 26, 2020, 01:32 PM ISTUpdated : Aug 26, 2020, 01:40 PM IST
हटके डेस्क: दुनिया में कई तरह के कस्टम्स होते हैं। इनमें से किसी की चर्चा उसकी उसके अच्छे चीजों की वजह से होती है, या फिर उसके अजीबोगरीब इतिहास के कारण। अगस्त का महीना इंडोनेशिया के लोगों के लिए काफी ख़ास होता है। यहां हर साल अगस्त के महीने में तोरजा कम्युनिटी के लोग अपने रिश्तेदारों को कब्र से निकाल कर उसके कपड़े बदलते हैं। साथ ही इन लाशों का मेकअप भी किया जाता है। इस समुदाय के लोगों का मानना है कि इससे जिंदगी और मौत के बीच का कनेक्शन चलता रहता है। ये रिवाज हर साल होता है। इसमें लोग अपनों की कब्रों को बदलकर उसे सजाते भी है। इस साल भी ये त्यौहार मनाया जा रहा है। इसकी तस्वीरें देख किसी नॉर्मल इंसान को शायद हार्ट अटैक आ जाए। लेकिन यहां इसे बेहद नॉर्मल और ख़ुशी के साथ मनाया जा रहा है। (सभी तस्वीरें डेली मेल से)
इस इवेंट में इंडोनेशिया का तोरजा डेथ रिच्युअल कहा जाता है। इसमें अपनों की लाशों को सिगरेट पिलाते देखा जा सकता है।
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यहां हर साल परिवार के लोग अपने प्रियजनों के शव को कब्र से निकालते हैं, उनकी कब्रों की सफाई करते हैं, उनकी साफ़-सफाई करते हैं और उनके साथ बातचीत करते हैं।
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कब्रों को साफ करना और उनके शरीर को पोंछकर उन्हें कपड़े पहनाए जाते हैं। इस समुदाय का मानना है कि मृत्यु और जीवन के बीच का संबंध अनंत है। इस कारण वो इन लाशों को दुबारा से निकालकर जीते हैं।
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ये परिवार सालों पहले मारे गए लोगों की बॉडी को भी निकालकर उनका मेकअप करते हैं। इन तस्वीरों को देखकर किसी नॉर्मल इंसान को सदमा ही आ जाए।
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इसी जगह पर लोग अपने रिश्तेदारों को दफनाते हैं। इसके बाद उन्हें बाहर निकालकर हर साल उनके कपड़े बदलते हैं।
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एक परिवार की सदस्य अपनी फैमिली में मारी गई एक बच्ची की बॉडी के साथ। उन्होंने बच्ची को फ्रॉक पहनाया। उसे विग और शूज भी पहनाए।
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गांव के लोग अपने रिश्तेदारों के पुराने कपड़े चाक़ू से काटकर अलग करते हैं। इसके बाद उन्हें नए कपड़े पहनाते हैं।
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इस त्योहार के दौरान अपने दादाजी के साथ सेल्फी लेती एक महिला। यहां कब्र से लाशें निकाल उन्हें फिर से जिन्दा किया जाता है।
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कब्र से निकली लाशों को छड़ी से बांधकर खड़ा किया जाता है। इसके बाद उसे नए कपड़े पहनाए जाते हैं। उसका मेकअप किया जाता है।
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एक बार लाश के कपड़े बदले जाते हैं हैं उसके बाद उन्हें वापस से कब्र में डाल दिया जाता है लेकिन अगले साल उन्हें फिर से निकाल लिया जाता है।
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कुछ इस तरह से लोग अपनों की लाशों के साथ फोटो खिचवाते नजर आए। ये लोगों के लिए काफी नॉर्मल है।
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कोरोना के बीच इस साल भी इस त्योहार को मनाया गया। बस लोग मास्क लगाए नजर आए।
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इस त्योहार में लोग छड़ी के जरिये लाशों को खड़ा करके रखते हैं। यहां इस तरह कपड़े बदले जाते हैं।
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इस ममीफाईड लाश को सिगरेट ऑफर करते लोग। ये काफी आरामदायक है और लोग इसे काफी अच्छे से मनाते हैं।
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एक बार ये रिच्युअल हो जाता है उसके बाद लाशों को वापस से कब्र में डाल दिया जाता है। साथ ही कब्र में कई तरह के गिफ्ट्स डाले जाते हैं।
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मरे हुए लोगों के रिश्तेदार भी इस त्योहार में आते हैं। और साथ में उसके लिए गिफ्ट्स भी लाते हैं।
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इस समुदाय के नाम तोरजंस पर ही इस फेस्ट का नाम तोराजा डेथ रिचुअल रखा गया है। ये जिंदगी और मौत का सबसे बड़ा इवेंट है।
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तोराजा चर्च ने इस त्योहार पर रोक लगाने की कोशिश की लेकिन ऐसा कभी नहीं हो पाया। कोरोना में भी इसे मनाया गया।