म्यांमार से खदेड़े गए रोहिंग्या मुसलमान फिर से दुनियाभर की मीडिया के चर्चा में हैं। मानवाधिकार आयोगों की आपत्ति के बाद भी बांग्लादेश ने 1776 रोहिंग्या शरणार्थियों को 'एकांत' द्वीप पर शिफ्ट कर दिया है। बांग्लादेश की नौसेना चटगांव बंदरगाह से 5 जहाजों में रोहिंग्या शरणार्थियों को भरकर भासन चार द्वीप छोड़ आई। आरोप लगाया जा रहा है कि बांग्लादेश ने इन रोहिंग्याओं को आइलैंड में मरने के लिए छोड़ दिया है। हालांकि बांग्लादेश के प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा कि ज्यादातर परिवार अपनी स्वेच्छा से गए। बता दें कि बांग्लादेश ने 825 करोड़ रुपए खर्च करके 20 साल पुराने भासन चार द्वीप को रेनोवेट किया है। इस जगह पर करीब एक लाख रोहिंग्या शरणार्थियों को बसाया जा रहा है। बांग्लादेश की आबादी 16.15 करोड़ है। लेकिन यहां के कॉक्स बाजार जिले में करीब 8 लाख से ज्यादा रोहिंग्या शरणार्थी रह रहे हैं। ये सभी म्यांमार से खदेड़े गए हैं। रोहिंग्या शरणार्थियों को कोई भी देश जगह देने को तैयार नहीं है। बता दें कि 1948 में बर्मा (अब म्यांमार) को अंग्रेजों से आजादी दिलाने में रोहिंग्या मुसलमानों ने बड़ा योगदान दिया था, लेकिन 1960 के बाद से ये अपने ही देश में प्रताड़ना का शिकार होते चले गए। वजह, म्यांमार बौद्ध बाहुल्य देश है। 2016-17 से पहले म्यांमार में करीब 8 लाख रोहिंग्या थे। रोहिंग्या के खिलाफ म्यांमार में हिंसा की बड़ी शुरुआत 2012 में हुई। आरोप है कि रोहिंग्या ने कुछ सुरक्षाकर्मियों की हत्या कर दी थी। वहीं, बौद्धों के खिलाफ दंगे भड़काए थे। इसके बाद म्यांमार सरकार इनके विरुद्ध सख्त हुई। म्यांमार से खदेड़े गए ये रोहिंग्या बांग्लादेश, पाकिस्तान, सउदी अरब, थाइलैंड, मलेशिया, इंडोनेशिया, नेपाल और भारत में अवैध रूप से घुस आए। जानिए रोहिंग्या की कहानी...