2020 में महाप्रलय! कोरोना के बीच आने वाली है महासुनामी, थरथरा जाएगी धरती

हटके डेस्क: पूरी दुनिया अभी कोरोना से जंग लड़ रही है। इस वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। वहीं मौत का आंकड़ा भी जल्द दो लाख पहुंचने वाला है। इस वायरस ने चीन के वुहान से निकलकर दुनिया के लगभग हर देश को अपनी चपेट में ले लिया है। इस बीच अब जापान के रिसर्चर्स ने घोषणा की है कि इस देश में जल्द ही महासुनामी आने वाली है। जापान  सरकार के पैनल ने भी चेतावनी देते हुए बताया कि देश में एक बार फिर ऐसी सुनामी आएगी, जिससे भारी नुकसान होगा। इस सुनामी से मचने वाली तबाही भीषण होगी। कुछ इस तरह होगा महाप्रलय... 
 

Asianet News Hindi | Published : Apr 24, 2020 5:50 AM IST / Updated: Apr 24 2020, 02:43 PM IST

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2020 में महाप्रलय! कोरोना के बीच आने वाली है महासुनामी, थरथरा जाएगी धरती

जापान सरकार के पैनल ने इसकी चेतावनी जारी की है। उन्होंने कहा कि ये सुनामी नहीं, महासुनामी होगी। इससे उठने वाली लहरें 98 फीट ऊंची होगी। 

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सुनामी आने से पहले एक जोरदार भूकंप आएगा। इसके बाद धरती हिल जाएगी। इस भूकंप की तीव्रता का अंदाज 9 लगाया गया है। इतनी जोर से कंपन से कई इमारत धराशायी हो जाएंगे। 

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न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, जापान के टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर ने भूकंप की बात को कंफर्म किया है। टेप्को ने बताया कि जापान को आने वाले कुछ समय में भारी तबाही उठानी पड़ेगी। 

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एक्सपर्ट्स ने बताया कि ये भूकंप पैसिफिक ओसियन के नीचे प्लेट्स में हुए टकराहट के कारण होगा। ये टकराव अब कभी भी हो सकता है।  

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भूकंप और सुनामी के कारण देश के फुकुशिमा न्यूक्लियर स्टेशन पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ेगा। अगर ऐसा हुआ, तो इससे होने वाले नुकसान की कोई सीमा नहीं होगी। 

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बता दें कि 2011 में आए सुनामी और भूकंप में भी ये स्टेशन काफी प्रभावित हुआ था। इस बार आने वाली महासुनामी से और भी भयंकर नुकसान होगा। 

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जापान में हर 300 से 400 साल में महाभूकंप और महासुनामी आती है। कोरोना के इस दौर में ही वो समय आया है। इससे पहले ऐसा 17 वीं सदी में आई थी। 
 

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 ये महासुनामी कई वजहों से आ सकती है। इस बार ऐसा प्रशांत महासागर के नीचे प्लेटों के टकराने से होगा। एक्सपर्ट्स ने बताया जापान का ट्रेंच होकाइडो आइलैंड से दूर जा रहा है। 
 

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धीरे-धीरे ये शीबा परफेक्चर की तरफ बोसो प्रायद्वीप की तरफ बढ़ रहा है। साथ ही कुरिल ट्रेंच जापान के तोकाची द्वीप से खिसक कर रूस के पूर्वोत्तर की तरफ कुरिल आइलैंड की तरफ शिफ्ट कर रहा है। टोक्यो यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर केंजी सटाके के मुताबिक, जापान के इस इलाके में कई हजार सालों से महभूकंप और महासुनामी आती रहती है। 

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उन्होंने बताया कि जिस तीव्रता से यहां भूकंप आने वाला है, उतने से हुए नुकसान से उबरना किसी भी देश के लिए काफी मुश्किल है। अब जापान सरकार इस आपदा से निपटने के लिए प्लान बनाने में जुटी है, ताकि नुकसान को कम किया जा सके। देश में लोगों की जान को बचाने के लिए भी तैयारियां शुरू हो गई है। 

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