गोडसे कभी गांधी का चेला था। गांधीजी के नागरिक अवज्ञा आंदोलन में उसने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। लेकिन बाद में जब गांधीजी ने बंटवारे का समर्थन किया, तब गोडसे के दिल में उनके प्रति नफरत भर गई। लेकिन उसने गांधीजी को क्यों मारा, इसकी असली वजह कभी सामने नहीं आ सकी।
(खड़े हुए : शंकर किस्तैया, गोपाल गोडसे, मदनलाल पाहवा, दिगम्बर बड़गे
बैठे हुए: नारायण आप्टे, विनायक दामोदर सावरकर, नाथूराम गोडसे और विष्णु रामकृष्ण करकरे)