कभी भी आग की लहरों में डूब सकता है ये द्वीप, रोज रात जान हथेली में रखकर सोते हैं 170 लोग

हटके डेस्क: अगर आपको पता हो कि जिस जगह पर आप रहते हैं वहां कभी भी ज्वालामुखी विस्फोट हो सकता है, तो शायद ही आप वहां रहना चाहेंगे। मौत से घिरकर वहां रहना शायद ही समझदारी का फैसला है। लेकिन जापान से कुछ दूर बसे आओगाशिमा द्वीप पर 170 लोग हर रात इस खौफ में सोते हैं कि कहीं अचानक ज्वालामुखी फूट जाए और सबकी मौत नींद के आगोश में ही ना हो जाए। यह द्वीप फिलीपीन सागर के मध्य में बसा है। जापान की राजधानी टोक्यो से इसकी दूरी मात्र 358 किलोमीटर है। इस छोटे से द्वीप पर एक्टिव वॉलकैनो होने के बावजूद 170 लोग यहां परिवार सहित रहते हैं। इस द्वीप की आकर्षक तस्वीरों के अलावा यहां की खासियत टूरिस्ट्स को भी आकर्षित करती है। 
 

Asianet News Hindi | Published : Feb 2, 2021 3:34 AM IST

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कभी भी आग की लहरों में डूब सकता है ये द्वीप, रोज रात जान हथेली में रखकर सोते हैं 170 लोग

दिखने में बेहद खूबसूरत इस द्वीप का नाम आओगाशिमा (Aogashima) है। ये द्वीप महज 8.75 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला है। जापान की राजधानी टोक्यो से इसकी दूरी 358 किलोमीटर है। फिलीपीन सागर के मध्य बेस इस द्वीप पर एक्टिव वॉलकैनो हैं, जो कभी भी फूट सकता है। 
 

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इस बेहद खूबसूरत द्वीप पर मात्र 170 लोग रहते हैं। ये सभी लोग अपना पूरा दिन आम लोगों की तरह बिताते हैं। लेकिन हर दिन इनके मन में एक खौफ जरूर रहता है। वो है ज्वालामुखी के फूट जाने का। 

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इस द्वीप की खूबसूरती टूरिस्ट्स को आकर्षित करती है। इसकी एक ख़ास बात भी है। अगर आसमान साफ़ हो, तो इस द्वीप से आकाशगंगा यानी की मिल्की वे गैलेक्सी साफ़ नजर आती है।  आसमान में ऐसा नजारा जल्दी कहीं देखने को नहीं मिलता। 

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बात अगर  आओगाशिमा द्वीप पर मौजूद ज्वालामुखी की करें, तो इसकी ऊंचाई 3.5 किलोमीटर और चौड़ाई 2.5 किलोमीटर है। वैसे तो आखिरी बार ये ज्वालमुखी 1781 से 85 के बीच फटा था। लेकिन मौसम विभाग इसे एक्टिव ही मानता है। 
 

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जुलाई 1780 में यहां कई बारे भूकंप आया था। इसी झटकों में ज्वालामुखी के क्रेटर्स फट गए थे और इससे लावा निकलने लगे। इसके तीन साल बाद यहां फिर से ज्वालामुखी फटा था। तब 63 लोग द्वीप छोड़ कर चले गए थे। 

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वहीं 1785 में इस द्वीप पर विस्फोट हुआ तो उसमें 140 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद जो लोग बचे वो आज भी वहीं रहते हैं। अभी तक ये नहीं पता चला कि इंसान इस द्वीप पर कब से रह रहे हैं। 

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बताया जाता है कि 1652 में ये द्वीप लोगों के नजर के सामने आया था। तब पहली बार ये द्वीप चर्चा में आया था। इसका कोई आधिकारिक दस्तावेज या इतिहास नहीं है।

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इस द्वीप पर लोग डर के साए में जीते हैं। उनकी लाइफस्टाइल पर भी ज्वालामुखी का बहुत असर है। इस द्वीप पर लोग ज्वालामुखी के भाप में ही सब्जियां भी पकाते हैं। 

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