तंग कमरों से बस के धक्कों तक, कोटा में ऐसी जिंदगी जीते हैं बाहर से आए स्टूडेंट्स
कोटा: बीजेपी के नेशनल आईटी के इंचार्ज अमित मालवीय ने एक ट्वीट से सनसनी फैला दी। एक मीडिया हाउस की खबर का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि 2019 के दिसंबर महीने में 24 दिनों के अंदर राजस्थान के कोटा के जे के लॉन हॉस्पिटल में कुल 77 बच्चों की मौत हुई। इस खबर के सामने आते ही लोगों में हड़कंप मच गया। खासकर उन पेरेंट्स के बीच जिनके बच्चे कोटा में कोचिंग करने जाते हैं। बता दें कि हर साल कोटा में लाखों बच्चे पढ़ाई करने पहुंचते हैं। आज हम आपको दिखाने जा रहे हैं कि ये बच्चे कोटा में किस हाल में कोचिंग करने के दौरान रहते हैं...
Asianet News Hindi | Published : Dec 27, 2019 5:38 AM IST / Updated: Dec 27 2019, 03:10 PM IST
एक सर्वे के मुताबिक, हर साल राजस्थान के कोटा में 2 लाख से ज्यादा बच्चे अलग-अलग प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए पहुंचते हैं।
यहां कई बड़े और मशहूर कोचिंग सेंटर हैं, जहां हर साल बच्चे अपने भविष्य को तराशने पहुंचते हैं।
कोचिंग आने जाने के लिए ये बच्चे पब्लिक ट्रांसपोर्ट का सहारा लेते हैं। ये साधन स्टूडेंट लाइफ में सस्ती पड़ती है।
कई बच्चों के पास बाइक या स्कूटी भी है। ये बस के धक्के खाने की जगह समय और एनर्जी बचाने के लिए इनसे ही कोचिंग पहुंचते हैं।
बच्चों के रहने के लिए यहां कई होस्टल्स भी हैं।
कहीं स्टूडेंट्स अकेले रहते हैं तो कहीं तीन-चार लोग साथ में। पढ़ाई के साथ ये एक परिवार जैसा माहौल भी देता है।
यहां खाने-पीने के लिए कई सस्ते होटल्स भी हैं। बाहर से आए बच्चों को ये कम दाम में घर के खाने का टेस्ट मुहैया करवाते हैं।
सड़क किनारे चटपटी दुकानें ही आपको काफी दिख जाएंगी।
चाय की टपरी पर स्टूडेंट्स रिलैक्स भी करते हैं और अपने दोस्तों के साथ भविष्य की चर्चा भी।
कोटा में कई छोटी दुकानें भी हैं। इन दुकानों में स्टूडेंट्स को डेली लाइफ की कई चीजें कम दाम में मिल जाएंगी। मॉल या बड़े दुकानों में जाने-आने में उनका समय और पैसा दोनों बर्बाद होते हैं।
सड़कों पर आपको ऐसे कई स्टाल्स दिख जाएंगे जो स्टूडेंट्स को अपने प्रॉडक्ट के प्रति आकर्षित करते हैं।
सड़कों पर चलती गाड़ियों में या किनारे लगे होर्डिंग्स में आपको कोचिंग सेंटर के ऐड दिख जाएंगे।