मात्र 1 टूरिस्ट के लिए खुली पेरू की ये मशहूर जगह, इसी जगह लॉकडाउन में फंसा रहा था महीनों

हटके डेस्क : कोरोना काल के दौरान हुए लॉकडाउन में हजारों लाखों लोग जगह-जगह पर फंस गए थे। उन्हीं में से एक है जापान के जेसी कात्यामा, जो पेरू के सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थल माचू पिच्चू ( Machu Picchu) घूमने आए थे पर लॉकडाउन की वजह से वहीं फंस गए। अब इस एक सैलानी के लिए पेरू के इस स्पॉट को खोला गया है। बता दें कि कोरोना के चलते माचू पिच्चू को बंद कर दिया गया था। कात्यामा ने भी हार नहीं मानी और करीब सात महीने तक वहां जाने का इंतजार किया। आखिरकार उनकी डेडिकेशन को देखते हुए सांस्कृतिक मंत्री ने आदेश दिया और उनके लिए इस वर्ल्ड हेरिटेज साइट को खोला गया।

Asianet News Hindi | Published : Oct 14, 2020 8:55 AM IST / Updated: Oct 14 2020, 02:27 PM IST
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मात्र 1 टूरिस्ट के लिए खुली पेरू की ये मशहूर जगह, इसी जगह लॉकडाउन में फंसा रहा था महीनों

पेरू (Peru)में एक ऐसा पर्यटन स्थल है, जहां पर हर साल लाखों सैलानी घूमने आते हैं। लेकिन इस बार कोरोना के चलते इस जगह को बंद कर दिया था। इसके बाद भी एक व्यक्ति की लगन को देखते हुए इस एक सैलानी के लिए माचू पिच्चू को खोला गया। 

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जापान के जेसी कात्यामा (Jesse Takayama)इस साल मार्च में ही इंका सभ्यता को देखने माचू पिच्चू घूमने आए थे, लेकिन कोरोना वायरस के कारण माचू पिच्चू को बंद कर दिया गया था।

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माचू पिच्चू बंद होने के बाद भी कात्यामा ने वहां रुककर इसके खुलने का इंतजार किया। लगभग 7 महीने बाद सांस्कृतिक मंत्री के आदेश के बाद इस पर्यटन स्थल के सिर्फ उनके लिए खोला गया।

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कात्यामा ने माचू पिच्चू जाकर एक वीडियो भी बनाया, जिसमें वो यहां आने का जश्न मनाते दिख रहे हैं। इस दौरान पार्क में उनके साथ कई अधिकारी भी मौजूद थे। इसे देखकर लोग कह रहे हैं कि वाकई इंतजार का फल मीठा होता है।

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जेसी कात्यामा ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर भी माचू पिच्चू की सुनसान जगह पर खुद की फोटोज पोस्ट किया। उन्होंने लिखा कि "पृथ्वी पर पहला व्यक्ति जो लॉकडाउन के बाद माचू पिच्चू गया वो मैं हूं..,"

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बता दें कि पेरू का पर्यटन स्थल नंवबर तक सैलानियों के लिए बंद ही रहेगा। उसके बाद भी सिर्फ 30 प्रतिशत लोग ही एक दिन में इस जगह पर आ सकेंगे, ताकि लोगों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग बरकरार रहें।

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बताया जाता है कि इस जगह को 1450 में इन्का साम्राज्य के राजा ने बनवाया था, इसलिए इसे लॉस्ट सिटी ऑफ द इन्कास भी कहा जाता है। इसे अमेरिकी इतिहासकार हिरअम बिंघम ने खोजा था और 1983 से ही यह यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स में शामिल है।

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यहां हर साल मैराथन का आयोजन भी होता है। लेकिन इस बार कोरोना के चलते ये नहीं हो पाया। बता दें कि 80 हजार एकड़ में फैले इसके इलाके में सीढ़ीदार खेत भी हैं, जिन पर आलू और मक्के की खेती होती है। 

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इस जगह को लेकर कई मिथक हैं। कई लोगों का यह मानना है कि इस जगह को इंसानों ने नहीं एलियनों ने बसाया है। यहां पर कई बार यूएफओ देखे जाने के दावे भी किये जा चुके हैं। वहीं कुछ लोग कहते हैं कि यहां पर कुंआरी लड़कियों की बलि दी जाती थी। उसके बाद उन्हें यही दफन कर दिया जाता था। यहां पर महिलाओं के कई कंकाल भी मिले हैं।

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