फिल्में चलाने में उसके पोस्टर का बड़ा रोल होता है। पोस्टर यानी फिल्म की थीम को दर्शकों के सामने लाकर उन्हें टीवी या थियेटर तक खींचना। ब्लैक एंड व्हाइट के दौर में फिल्मों के पोस्टर एकदम साफ-सुथरे होते थे। लेकिन जैसे-जैसे फिल्में रंगीन हुई और साथ-साथ उनमें ग्लैमरस का तड़का लगा, पोस्टर भी तड़क-भड़क वाले होते गए। अब बात आती है फिल्मों के टाइटल की। पोस्टरों पर फिल्मों के टाइटल लिखे होते हैं। फिल्मवाले टाइटल ऐसे रजिस्टर्ड कराते हैं, जो अपील करें। लेकिन भोजपुरी सिनेमा ने इस अपील में सेक्स और डबल मीनिंग का तड़का लगा दिया। उसकी देखा-देखी हिंदी सिनेमा भी ऐसा करने लगा है, लेकिन भोजपुरी फिल्मों के टाइटल और पोस्टर तो ऐसे होते हैं कि पढ़ने और देखने वाले मुस्करा दें या झेंप जाएं। देखिए ऐसे ही कुछ पोस्टर...