6 में से 2 बीघा जमीन एकदम बंजर थी, कई बार मरने का मन हुआ, फिर बदल गई किस्मत

एक किसान की हिम्मत से जुड़ी यह कहानी कुछ महीने पहले राजस्थान के उदयपुर में सामने आई थी। यह कहानी आज इसलिए प्रासंगिक है, क्योंकि देश में इस समय किसानों का आंदोलन चल रहा है। मुद्दा किसानों की दुर्दशा से जुड़ा है। लेकिन यह भी सच है कि अगर खेती-किसानी को सही तौर-तरीके से किया जाए, तो इससे बेहतर कोई दूसरा काम नहीं हो सकता। कभी बंजर और पथरीला खेत देखकर रूंआंसा होने वाला यह किसान अब मजे से जिंदगी गुजार रहा है। खेतों में फल-सब्जियां और अनाज उगाता है। यह किसान हैं उदयपुर से करीब 30 किमी दूर स्थित पई गांव का निचल फलां के रहने वाले शंकरलाल भील। शंकरलाल ने अकेले ही अपने बंजर और पत्थरों से भरे खेत को उपजाऊ बना दिया। यह सब उन्होंने सिर्फ एक साल की मेहनत में किया। कभी-कभी उन्हें जेसीबी की मदद भी लेनी पड़ी, लेकिन हिम्मत कभी नहीं छोड़ी। शंकर के पास 6 बीघा जमीन है। इसमें से 2 बीघा किसी काम की नहीं थी। लेकिन शंकर ने इसे भी उपजाऊ बना दिया। जानिए एक किसान के हौसले की कहानी..

Asianet News Hindi | Published : Dec 14, 2020 11:46 AM IST
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6 में से 2 बीघा जमीन एकदम बंजर थी, कई बार मरने का मन हुआ, फिर बदल गई किस्मत

शंकरलाल ने खुद गेंती-फावड़ा चलाकर बंजर जमीन को समतल किया। उनके साथ पत्नी ने भी मदद की।

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शंकरलाल को ऐसा करते देखकर कुछ लोगों ने मजाक बनाया। कुछ लोगों ने कहा कि यहां मेहनत करने से अच्छा है कि शहर जाकर मजदूरी करो। लेकिन शंकर ने उनकी बात नहीं मानी।

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खेत से निकले पत्थरों का शंकरलाल ने सदुपयोग किया। इनसे उन्होंने खेतों के चारों ओर बाड़ बना ली। इससे खेत जानवरों से सुरक्षित हो गए।

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आज शंकरलाल के खेतों में फल-सब्जियों और अनाज उगते हैं। शंकरलाल जैविक खेती करते हैं।

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शंकरलाल कहते हैं कि वे मेहनत से कभी पीछे नहीं हटे। इसी का नतीजा है कि आज उनकी बंजर जमीन उपजाऊ है।

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कुछ साल पहले खेत से पत्थर तोड़ते शंकरलाल।
 

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यह और बात है कि शंकरलाल को बंजर जमीन को खेत में बदलने कड़ी मेहनत करनी पड़ी।

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