ये हैं बॉलीवुड के वो 10 विलेन, जब ये पर्दे पर आते थे, तो लोग गुस्से में हीरो से कहते थे-'मारो इन्हें'

हिंदी सिनेमा में जितना अहम रोल हीरो का होता है, उतना ही विलेन का भी। बेशक अब सिनेमा बदल रहा है, लेकिन एक समय ऐसा था कि बगैर विलेन के फिल्मों की कल्पना तक नहीं की जा सकती थी। कह सकते हैं कि बिना विलेन के हीरो भी जीरो था। ही वजह रही कि हीरो भी खुद को विलेन बनने से नहीं रोक पाए। आजकल के तमाम हीरो समय-समय पर फिल्मों विलेन बनकर आते रहते हैं। आइए आपको मिलवाते हैं बॉलीवुड के 10 ऐसे विलेन से, जब ये पर्दे पर एंट्री मारते थे, तो लोग गुस्से में हीरो से कहते थे कि मारो इन्हें। 

Asianet News Hindi | Published : Jan 5, 2021 6:21 AM IST

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ये हैं बॉलीवुड के वो 10 विलेन, जब ये पर्दे पर आते थे, तो लोग गुस्से में हीरो से कहते थे-'मारो इन्हें'

हिंदी सिनेमा को समृद्ध करने में जितना योगदान हीरो का रहा है, उतना ही विलेन का भी। शुरुआती दौर में धार्मिक फिल्में बनीं, लेकिन उसमें भी निगेटिव किरदार होते थे। जिस तरह सब्जी में नमक-मिर्ची का अपना एक स्वाद होता है, वैसे ही फिल्में विलेन और हीरो की मौजूदगी।
 

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कन्हैया लाल चतुर्वेदी
1910-14 अगस्त, 1982

फेमस डायलॉग-राम बचाए कल्लू को, अंधा करदे लल्लू को। (गंगा जमुना)
इनका जन्म यूपी के वाराणसी में हुआ था। इन्होंने करीब 105 फिल्मों में काम किया।

प्रमुख फिल्में-मदर इंडिया, गंगा जमुना, गोपी, उपकार, अपना देश, दुश्मन, धरती कहे पुकार के, हम पांच, औरत आदि।

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अजीत
27 जनवरी, 22 अक्टूबर, 1998
फेमस डायलॉग-सारा शहर मुझे लॉयन के नाम से जानता है। (कालीचरण)
इनका जन्म हैदराबाद में हुआ था। इनका असली नाम हामिद अली खान था। इनकी पहली फिल्म 1946 में आई शाह-ए-मिस्र थी। इनका आखिरी वक्त गरीबी में गुजरा। अजीत ने करीब 200 फिल्मों में काम किया।

प्रमुख फिल्में-जंजीर, कालीचरण,यादों की बारात, जुगनू, प्रतिज्ञा, चरस, आजाद, राम बलराम, रजिया सुल्तान और राज तिलक, जिगर, शक्तिमान, आदमी, आतिश, आ गले लग जा और बेताज बादशाह,नास्तिक, पतंगा, बारादरी,ढोलक,ज़िद,सरकार,सैया,तरंग,मोती महल, सम्राट,तीरंदाज आदि।

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प्राण  
12 फरवरी, 1920-12 जनवरी, 2013
फेमस डायलॉग-इस इलाके में नए आए हो बरखुरदार, वर्ना यहां शेर खान को कौन नहीं जानता (जंजीर)

इन्होंने 1940 से 47 तक हीरो के तौर पर फिल्मों में काम किया। इसके बाद 1991 तक विलेन बनकर पर्दे पर छाए रहे। इसके अलावा 1948 से 2007 तक सहायक अभिनेता भी बनते रहे। प्राण ने 350 से अधिक फिल्मों में काम किया। इनका  जन्म पुरानी दिल्ली में हुआ था।

प्रमुख फिल्में-खानदान (1942), पिलपिली साहेब (1954), हलाकू (1956),मधुमती (1958), जिस देश में गंगा बहती है (1960), उपकार (1967), शहीद (1965), आंसू बन गये फूल (1969), जॉनी मेरा नाम (1970), विक्टोरिया नम्बर 203 (1972), बे-ईमान (1972), ज़ंजीर (1973), डॉन (1978) और दुनिया (1984) आदि।

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अमरीश पुरी
22 जून, 1932-12 जनवरी, 2005
फेमस डायलॉग-
मोगैंम्बो खुश हुआ (मिस्टर इंडिया)
इनका जन्म नवांशहर-पंजाब में हुआ था। उन्होंने करीब 400 से ज्यादा फिल्मों में अभिनय किया। 
कुछ खास फिल्में-निशांत,गांधी, नगीना, राम लखन,त्रिदेव, फूल और कांटे, विश्वात्मा, दामिनी, करण अर्जुन, कोयला, दिलवाले दुल्हनिया ने जाएंगे, मिस्टर इंडिया आदि। 

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प्रेम चोपड़ा
23 सितंबर, 1935
फेमस डायलॉग-प्रेम नाम है मेरा, प्रेम चोपड़ा (बॉबी)
इनका जन्म लाहौर(पाकिस्तान) में हुआ। इन्होंने 400 से अधिक फिल्मों में काम किया। प्रेम चोपड़ा अभी भी अभिनय की दुनिया में सक्रिय हैं।

प्रमुख फिल्में-वो कौन थी, तीसरी मंजिल, झुक गया आसमां, पूरब और पश्चिम, गोरा काला, राजा जानी, रास्ते का पत्थर, बॉबी, गहरी चाल, जुगनू, अजनबी, त्रिशूल, देश प्रेमी, खुद्दार, क्रांति, तहलका, अर्जुन, ऊंचे लोग, बेताब, मर्द, शहंशाह, फूल बने अंगारे आदि।

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अमजद खान
12 नवंबर, 1940-27 जुलाई, 1992
फेमस डायलॉग-जो डर गया, समझो मर गया। (शोले)
इनका जन्म पेशावर(पाकिस्तान) में हुआ था। 1975 में आई फिल्म शोले में गब्बर सिंह का किरदार एक किवदंती बन गया। ये जाने-माने अभिनेता जयंत के बेटे थे।
प्रमुख फिल्में- कुर्बानी, लव स्टोरी, चरस, हम किसी से कम नही, इनकार, परवरिश, शतरंज के खिलाड़ी, देस-परदेस,दादा,गंगा की सौगंध, कसमे-वादे, मुक्कदर का सिकन्दर, लावारिस, हमारे तुम्हारे, मिस्टर नटवरलाल, सुहाग, कालिया, लेडीज टेलर, नसीब, रॉकी, यातना, सम्राट, बगावत, सत्ते पे सत्ता, जोश, हिम्मतवाला आदि

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डैनी डेन्जोंगपा
25 फरवरी, 1948
फेमस डायलॉग-
मौत से किसकी रिश्तेदारी है, आज हमारी कल तुम्हारी बारी है। (अंधा कानून)
इन्हें भारत के सर्वोच्च सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है। इनका जन्म सिक्किम में हुआ था। शुरुआती दौर में इन्होंने नेपाली और हिंदी फिल्मों में गीत गाए।
प्रमुख फिल्में-मेरे अपने (1971), धुंध (1973), चोर मचाए शोर (1974), खोटे सिक्के (1974), काला सोना (1975), लैला मजनू (1976), फकीरा (1976), कालीचरण (1976), संग्राम (1976), लाल कोठी (1978), अब्दुल्लाह (1980), काली घटा (1980), बुलंदी (1981), कानून क्या करेगा (1984), अंदर बाहर (1984), युद्ध (1985), जवाब (1985), ऐतबार (1985), प्यार झुकता नहीं (1985), खोज (1988), यतीम (1989), सनम बेवफा (1991), अग्निपथ (1990), हम (1991), खुदा गवाह (1992), घातक (1996) चाइना गेट (1998) पुकार (2000), 16 दिसम्बर (2002) रोबोट (2010), बैंग बैंग (2014), बेबी (2015), नाम शबाना (2017) आदि।

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शक्ति कपूर
3 सितंबर, 1952
फेमस डायलॉग-क्राइम मास्टर गोगो है मेरा नाम, आंखें निकालकर गोटियां खेलता हूं मैं। (अंदाज अपना अपना)
इनका जन्म दिल्ली में हुआ। इनका असली नाम सुनील सिकन्दरलाल कपूर है। इन्होंने 700 से अधिक फिल्मों में काम किया। ये आज भी सक्रिय हैं।
प्रमुख फिल्में-कुर्बानी, रॉकी, हीरो, राजा बाबू, इंसाफ, बाप नंबर बेटा दस नंबरी, अंदाज अपना अपना, तोहफा, हम साथ साथ हैं, चालबाज, बोल राधा बोल, आदि।

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गुलशन ग्रोवर
21सितंबर, 1955

फेमस डायलॉग-जिंदगी का मजा तो खट्टे में ही है। (दिलजले)
इनका जन्म नई दिल्ली में हुआ। इन्होंने 400 से ज्यादा फिल्मों में काम किया। इन्हें बैडमैन के नाम से पुकारा जाता है।

प्रमुख फिल्में-हम पांच ,सोनी महिवाल,इस बॉस,दूध का कर्ज,इज्जत, सौदागर,कुर्बान,राम लखन,इंसाफ कौन करेगा, अवतार, क्रिमनल ,मोहरा, दिलवाले,हिंदुस्तान की कसम,हेराफेरी, इंटरनेशनल खिलाडी, 16 दिसंबर, लज्जा, एक खिलाडी एक हसीना, दिल मांगे मोर,जम्बो, कर्ज, गंगा देवी, एजेंट विनोद, बिन बुलाये बाराती, यारियां आदि

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रंजीत
12 नवंबर, 1946
फेमस डायलॉग-इतनी मजेदार चीज भगवान के लिए छोड़ दूं? हरगिज नहीं! (रामपुरा का लक्ष्मण)
इनका असली नाम गोपाल बेदी है। इनका जन्म पंजाब के अमृतसर जिले में हुआ था।
प्रमुख फिल्में-रेशमा और शेरा, खोटे सिक्के, हाथ की सफाई, धोती लोटा और चौपाटी, धर्मात्मा, खून पसीना, मुकद्दर का सिकंदर, सुहाग, द बर्निंग ट्रेन आदि।

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