साइंस प्रैक्टिकल मांगता है। यानी किताबी ज्ञान के बावजूद कोई भी आविष्कार तभी संभव हो पाता है, जब प्रयोग किए जाएं। 12वीं के बाद इस शख्स ने IIT में दाखिले का प्रयास किया, लेकिन असफल रहा। इसके बाद शख्स ने MIT उज्जैन से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की। यह तो हुई पढ़ाई की बात। लेकिन इसका यह आविष्कार पढ़ाई-लिखाई से परे है। यह एक ऐसा आविष्कार है, जो देसी जुगाड़ तकनीक का गजब उदाहरण है। यह है बिना बिजली के चलने वाला वॉटर फिल्टर। यह दिनभर में 500 लीटर गंदे पानी को फिल्टर करके नहाने-धोने और अन्य घरेलू काम के इस्तेमाल के लायक बना देता है। बस इसे खाने और पीने में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। लेकिन पहले यह पानी किसी काम का नहीं होता था। यह हैं मध्य प्रदेश के रतलाम के रहने वाले जितेंद्र चौधरी। इनका यह सस्ता और किफायती वाटर फिल्टर‘शुद्धम’ के नाम से जाना जाता है। इसे देशभर में सराहा गया है। आगे पढ़ें इन्हीं की कहानी...