सितंबर तक मिलेगा कोरोना का वैक्सीन! WHO का प्रोटोकाल तोड़ 2 साल का ह्यूमन टेस्ट 2 महीने में होगा

लंदन. दुनिया भर में कोरोना का कहर जारी है। दुनिया के 210 देशों में कोरोना के संक्रमण से अब तक 7 लाख 38 हजार से अधिक लोग संक्रमित हैं। जबकि 39 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इन सब के बीच दुनिया भर में वैज्ञानिकों की फौज वैक्सीन की खोज में जुटी हुई है। अभी तक ये पता नहीं चला है कि जानवरों पर कोरोना वैक्सीन का असर क्या है। लेकिन इस बार दो साल के क्लिनिकल टेस्ट को दो महीने में पूरी करने की तैयारी है। 

Asianet News Hindi | Published : Apr 19, 2020 8:58 AM IST

113
सितंबर तक मिलेगा कोरोना का वैक्सीन! WHO का प्रोटोकाल तोड़ 2 साल का ह्यूमन टेस्ट 2 महीने में होगा

वुहान से लेकर इंग्लैंड, अमेरिका से लेकर ऑस्ट्रलिया तक के लैब वैक्सीन बनाने के लिए काम कर रहे हैं। इससे पहले ईबोला की वैक्सीन पांच साल के रिसर्च के बाद बनी थी। इस बार पूरी दुनिया आपात स्थिति से निपट रही है, इसलिए तैयारी उसी तरह से हो रही है। 
 

213

इंग्लैंड में एक साथ 21 लैब में काम शुरू
इंग्लैंड में कोरोना वायरस का वैक्सीन बनाने के लिए वैज्ञानिक दिन रात एक किए हुए हैं। यहां 21 नए रिसर्च प्रोजेक्ट शुरू कर दिए गए हैं। इसके लिए इंग्लैंड की सरकार ने 1.4 करोड़ पाउंड की राशि मुहैया कराई है। 

313

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में 10 लाख वैक्सीन की डोज बनाने की तैयारी चल रही है। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि दुनिया में सितंबर तक कोरोना का वैक्सीन आ सकता है। 

413

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वैक्सीन बनाने के लिए तय प्रोटोकॉल से पहले ही इसे ह्यूमन टेस्टिंग की तैयारी चल रही है। जानकारों के मुताबिक खुद ऑक्सफोर्ड के रिसर्चर्स को पता नहीं है कि वैक्सीन कितनी कारगर होगी। 

513

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में जेनर इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर आड्रियान हिल कहते हैं, हम किसी भी कीमत पर सितंबर तक दस लाख डोज तैयार करना चाहते हैं। 
 

613

वैज्ञानिकों का कहना है कि एक बार वैक्सीन की क्षमता का पता चल जाए तो उसे बढाने पर बाद में भी काम हो सकता है। ये स्पष्ट है कि पूरी दुनिया को करोड़ों डोज की जरूरत पड़ने वाली है। तभी इस महामारी का अंत होगा और लॉकडाउन से मुक्ति मिलेगी। 

713

वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना वायरस को खत्म करने के लिए वैक्सीन ही सबसे कारगर उपाय हो सकता है। सोशल डिस्टेंशिंग से सिर्फ बचा जा सकता है। गौरतलब है कि इंग्लैंड के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन खुद संक्रमण के शिकार हो गए थे। हालांकि अब वो पूरी तरह स्वस्थ हैं। 

813

जेनर इंस्टीट्यूट के मुताबिक दो महीने में पता चल जाएगा कि वैक्सीन मर्ज कितना कम कर पाएगी। इंग्लैंड सरकार के चीफ साइंटिफिक एडवाइजर सर पैट्रिक वैलेस ने कहा, 21 प्रोजेक्ट हैं। ये सत्य है कि सभी प्रोजेक्ट से शुभ समाचार मिलने वाला नहीं है। इसलिए हम सभी को प्रोत्साहन दे रहे हैं। क्या पता कहां से सबसे प्रभावशाली वैक्सीन बन कर निकल जाए।

913

WHO के प्रोटोकॉल को तोड़ कर हो रहा काम
हालांकि वैक्सीन तैयार करने का प्रोटोकॉल 12 से 18 महीने का होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइन भी यही कहती है। ब्रिटेन के चीफ मेडिकल एडवाइजर क्रिस विह्टी कहते हैं, हमारे देश में दुनिया के जाने माने वैक्सीन वैज्ञानिक हैं, लेकिन हमें पूरे डेवलपमेंट प्रोसेस को ध्यान में रखना है। 

1013

वैज्ञानिकों का कहना है कि डेवलपमेंट प्रोसेस को कम किया जा सकता है। टास्क फोर्स इस पर काम कर भी रही है। हम सिर्फ यही चाहते हैं कि जल्दी से जल्दी Covid-19 के इलाज के लिए वैक्सीन तैयार हो जाए।

1113

दो साल का ट्रायल दो महीने में होगा पूरा
मानव इस्तेमाल से पहले वैक्सीन का प्री-क्लीनिकल ट्रायल जानवरों पर होता है। इससे पता चलता है कि ये मनुष्यों के लिए कितना सेफ है। इसमें दो साल तक लग जाता है। लेकिन पूरी दुनिया में आपातकाल जैसी स्थिति को देखते हुए इस प्रक्रिया को दो महीने में पूरा करने की तैयारी है। क्लीनिकल ट्रायल के दूसरे फेज में कृत्रिम इन्फेक्शन पर वैक्सीन को आजमाया जाता है। इससे क्षमता का अंदाजा लगता है।
 

1213

वैक्सीन की सेफ्टी, साइड इफेक्ट और असर का आकलन इसी फेज में होता है। फेज 3 में बड़े पैमाने पर इसका वास्तविक इस्तेमाल होता है। फेज-4 में वैक्सीन का लाइसेंस हासिल किया जाता है ताकि मार्केट में बिक्री के लिए उतारा जा सके।

1313

भारत में भी तेजी से हो रहा है काम
कोरोना की वैक्सीन को लेकर भारत में भी तेजी से काम हो रहा है। हैदराबाद की वैक्सीन कंपनी भारत बायोटेक अगले चार महीने में विकसित की गई वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल शुरू कर देगी। अभी इसका एनिमल ट्रायल चल रहा है। 2020 खत्म होने से पहले यह टीका इस्तेमाल के लिए उपलब्ध हो सकता है। 

Share this Photo Gallery
click me!

Latest Videos

Recommended Photos