चलने-फिरने से लाचार हुआ मासूम, तो पूरी फैमिली को दे दिया देश निकाला, सरकार बोली-खर्चा कौन उठाए?

कहते हैं कि दु:ख और मुसीबत के समय साथ देने वाला भगवान के बराबर होता है। लेकिन यह मामला चौंकाता है। इस 6 साल के बच्चे के ओंठों पर भले हमेशा मुस्कुराहट तैरती रहती है, लेकिन यह एक गंभीर बीमारी सेरेब्रल पॉल्सी से जूझ रहा है। अब उसके मां-बाप के सामने एक नया संकट खड़ा हो गया है। उसकी फैमिली को आस्ट्रेलियाई सरकार ने देश निकाला दे दिया है। यानी उन्हें परमानेंट वीजा देने से साफ मना कर दिया है। कायान कात्याल के पिता वरुण 12 साल पहले आस्ट्रेलिया में स्टूडेंट वीजा पर गए थे। 2012 में उन्होंने वहीं मैरिज की और 2015 में कायान का जन्म हुआ। आस्ट्रेलियाई सरकार का तर्क है कि इस बच्चे के इलाज कराने से टैक्स पेयर पर बोझ बढ़ेगा। दरअसल, आस्ट्रेलिया में मेडिकल सुविधा फ्री है। सरकार नहीं चाहती कि इस बच्चे के कारण आस्ट्रेलियाई नागरिकों पर बोझ बढ़े।

Asianet News Hindi | Published : Mar 23, 2021 10:33 AM IST / Updated: Mar 23 2021, 04:04 PM IST

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चलने-फिरने से लाचार हुआ मासूम, तो पूरी फैमिली को दे दिया देश निकाला, सरकार बोली-खर्चा कौन उठाए?

कायान की बीमारी का पता चलते ही आस्ट्रेलियाई सरकार ने उसकी फैमिली को देश छोड़ने का फरमान सुना दिया है। बता दें सेरेब्रल पॉल्सी एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है। इसमें शारीरिक गति, चलने-फिरने की क्षमता पर बुरा असर पड़ता है।

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ऑस्ट्रेलिया के इमिग्रेशन विभाग ने फरवरी में कायान के पिता वरुण की आखिरी एप्लिकेशन भी रिजेक्ट कर दी है। यानी उन्हें भारत लौटना ही पड़ेगा।

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वरुण बताते हैं कि कायान जन्म से ही इस बीमार से पीड़ित है। हालांकि वे अपने पैसों पर बच्चे का इलाज कराने को तैयार हैं, लेकिन ऑस्ट्रेलिया सरकार यह मानने को तैयार नहीं।

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वरुण बताते हैं कि ऑस्ट्रेलिया के इमीग्रेशन विभाग ने 2018 में परिवार को परमानेंट रेसीडेंट वीजा देने से मना कर दिया। विभाग का तर्क है कि अगर उन्हें परमानेंट रेसीडेंट वीसा दे दिया, तो कायान का इलाज ऑस्ट्रेलिया के टैक्स पेयर्स पर एक बोझ बन जाएगा।
 

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बता दें कि ऑस्ट्रेलिया में परमानेंट रेसीडेंट्स और नागरिकों के लिए मेडिकल सुविधा फ्री है। यानी इसका खर्चा सरकार टैक्स से होने वाली आय से निकालती है। 

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वरुण मेलबर्न में शेफ की नौकरी करते हैं। वरुण ने खुद के खर्चे पर कायान का इलाज कराने की बात कही, तो इमीग्रेशन विभाग ने उनसे अगले 10 साल में इलाज पर खर्च होने वाली राशि करीब 6 करोड़ रुपए की बचत दिखाने को कहा। वरुण के सामने दिक्कत यह है कि एक साथ इतनी बड़ी रकम नहीं जुटा सकते।

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वरुण बताते हैं कि वे अपनी सारी जमा-पूंजी कायान के इलाज पर खर्च कर चुके हैं। यही नहीं बार-बार वीजा रिजेक्ट होने से भी सिर्फ एप्लिकेशन पर ही 20 लाख रुपए खर्च हो चुके हैं।

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कहीं से कोई आस नहीं दिखने पर अब वरुण ने एडमिनिस्ट्रेटिव अपील ट्रिब्यूनल में अपील दायर की है, जबकि कायान की अपील फेडरल अदालत में लंबित है। 

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