समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बातचीत में कंपनी में अधिकारी यान झिचुन ने बताया कि दोनों स्ट्रेन की वजह से अफ्रीकन स्वाइन फीवर से संक्रमित सुअर मर नहीं रहे हैं। ये उस तरह का फीवर नहीं है, जो 2018-2019 में चीन में फैला था। इसकी वजह से एक खास तरह की क्रोनिक कंडिशन पैदा हो रही है। इस वजह से सुअर के जो बच्चे पैदा हो रहे हैं, वे काफी कमजोर हैं।