700 करोड़ की लागत से बिना लोहे और स्टील से इस मुस्लिम देश में बन रहा पहला हिंदू मंदिर

दुबई. संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की राजधानी अबूधाबी के पहले हिंदू मंदिर के निर्माण में महत्त्वपूर्ण पड़ाव पूरा हो गया है। अधिकारियों ने बताया कि यहां इसकी नींव को पहली बार कांक्रीट से भरने का कार्य पूरा कर लिया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2018 में संयुक्त अरब अमीरात में दुबई के ओपेरा हाउस से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्‍तम स्वामीनारायण संस्‍था (बीएपीएस) मंदिर की आधारशिला रखी थी।

Asianet News Hindi | Published : Feb 15, 2020 9:56 AM IST

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700 करोड़ की लागत से बिना लोहे और स्टील से इस मुस्लिम देश में बन रहा पहला हिंदू मंदिर
इस मंदिर के निर्माण में 400 मिलियन दीनार (699 करोड़ रुपए) की लागत आएगी। जब पहली बार मोदी 2015 में संयुक्त अरब अमीरात गए थे, तभी यूएई सरकार ने इसके लिए 55,000 वर्ग फीट जमीन आवंटित की थी।
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मंदिर समिति के अधिकारियों ने बताया, इस हिंदू मंदिर में लोहे, स्टील से बनी किसी सामग्री का इस्तेमाल नहीं होगा। इस मंदिर का निर्माण भारत की पारंपरिक मंदिर वास्तुकला के तहत किया जाएगा।
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यूएई में भारत के राजदूत पवन कपूर और दुबई में भारत के महावाणिज्य दूत विपुल, सामुदायिक विकास प्राधिकरण के सीईओ उमर अल मुथन्ना और शापूरजी पलोंजी के सीईओ मोहनदास सैनी की मौजूदगी में पूज्य ब्रह्मविहारी स्वामी और पूज्य अक्षयमुनिदास स्वामी ने परियोजना के लिए विशेष पूजा की।
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समारोह के दौरान पूज्य ब्रह्मविहारी स्वामी ने कहा, ''आज हमने मंदिर की अनोखी नींव भरने का कार्य प्रारंभ किया जिसका निर्माण प्राचीन प्रौद्योगिकी के साथ आधुनिक उपकरणों से किया गया है। यह ईश्वर की कृपा, समुदाय के पूर्ण समर्थन और यहां मौजूद हर व्यक्ति के प्रेम के बिना संभव नहीं था।''
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निर्माण स्थल पर बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे जहां समारोह की शुरुआत प्रार्थनाओं के साथ हुई और इसके बाद मंदिर की नींव में फ्लाई ऐश कंकरीट भरने का काम पूरा हुआ।
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2018 में संयुक्त अरब अमीरात में दुबई के ओपेरा हाउस से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्‍तम स्वामीनारायण संस्‍था (बीएपीएस) मंदिर की आधारशिला रखी थी।
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मंदिर की नींव में एक ही बार में 3,000 घन मीटर कंकरीट का मिश्रण भरा गया जो 55 प्रतिशत फ्लाई ऐश से बना हुआ था। इससे मंदिर की नींव को दुनिया भर में प्रयोग होने वाले कंकरीट मिश्रणों की तुलना में अधिक पार्यावरण हितैषी तरीके से भरा गया।
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