भारत नहीं इस देश में है दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर, ढलता सूरज करता है प्रणाम

नई दिल्ली. भारत दुनिया में एक ऐसा देश है, जहां सबसे ज्यादा हिंदू रहते हैं। लेकिन इसके बावजूद दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर भारत में नहीं है। आपको यह सुनकर थोड़ा अजीब लगेगा लेकिन यह सच है। दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर भारत में नहीं बल्कि कंबोडिया में है। कंबोडिया का अंकोरवाट मंदिर दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर है। इस मंदिर की खास बात यह है कि हिंदू और बौद्ध दोनों धर्म के लोग इस मंदिर को अपना धार्मिक स्थल मानते हैं। इसी वजह से इस मंदिर में सबसे ज्यादा पर्यटक आते हैं। 

Asianet News Hindi | Published : Feb 19, 2020 8:05 AM IST

115
भारत नहीं इस देश में है दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर, ढलता सूरज करता है प्रणाम
अंकोरवाट अपनी स्थापना के वक्त हिंदू धर्म को समर्पित था, लेकिन बाद में इसे बौद्ध मंदिर बना दिया गया। हालांकि, हिंदू और बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग इसमें समान आस्था रखते हैं।
215
यह मंदिर कंबोडिया की राजधानी नोम पेन्ह से 206 किमी की दूरी पर है। इसे दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक स्मारक भी कहा जाता है।
315
कंबोडिया में बना यह मंदिर दुनिया का सबसे बड़ा और भव्य मंदिर है। यह मंदिर अंकोर में सिमरिप शहर में मीकांग नदी के किनारे बसा बना है।
415
बताया जाता है कि यह मंदिर राजा सूर्य वर्मन द्वितीय ने 12वीं सदी में बनवाया था। उस वक्त यह जगह खमेर साम्राज्य की राजधानी यशोधरापुरा थी।
515
जानकारों के मुताबिक, खमेर वंश शैव संप्रदाय के अनुयायी थे। यानी वे भगवान शिव को मानते थे। लेकिन इसके बावजूद राजा सूर्यवर्मन द्वितीय ने भगवान विष्णु के इस मंदिर को बनवाया।
615
यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। यह मंदिर करीब 500 एकड़ में फैला है। इंडोनेशिया के निवासी इसे पानी में डूबा मंदिर भी कहते हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस मंदिर के दर्शन के लिए 20 लाख पर्यटक कंबोडिया आते हैं।
715
यह मंदिर खमेर वंश की वास्तुकला, शास्त्रीय शैली का परिचय कराता है। इस मंदिर को मेरू पर्वत का रूप माना जाता है।
815
इस पर्वत को ब्रह्मा समेत तमाम देवताओं का घर माना जाता है।
915
कंबोडिया को पहले कंपूचिया नाम से जाना जाता था। यहां हिंदू और बौद्ध धर्म का साम्राज्य था। यहां खमेर साम्राज्य पूरे एशिया में अपना वर्चस्व रखते था।
1015
कंबोडिया दक्षिण पूर्व एशिया में स्थित है। इसकी जनसंख्या करीब 1.5 करोड़ है। पुर्वी एशिया में और भी कई मंदिर खोजे जा चुके हैं।
1115
कंबोडिया ने अपने राष्ट्रीय ध्वज में भी इस मंदिर को जगह दी है। इसके अलावा अफगानिस्तान का राष्ट्रीय ध्वज में भी यह चित्रित है। इस मंदिर को 1992 में यूनेस्को ने विश्व धरोहर में शामिल किया।
1215
इस मंदिर की कुछ अनोखी विशेषताएं हैं, जो इसे अन्य मंदिरों से अलग बनाती हैं। इस मंदिर का मुख्य द्वार पश्चिम में है। वैसे हिंदू मंदिरों के द्वार पूर्व दिशा में होते हैं।
1315
हर मंदिर में उगते हुए सूर्य की रोशनी पहुंचती है। जबकि इस मंदिर का पश्चिम दिशा में द्वार होने के चलते सूर्य ढलते हुए इस मंदिर को प्रणाम करता है।
1415
मंदिर की दीवारों पर अनेक देवाताओं की तस्वीरों और धार्मिक-पौराणिक कहानियों को चित्रों और मूर्तियों के तौर पर उकेरा गया है।
1515
मंदिर की दीवारों पर अप्सराओं के भी चित्र उकेरे गए हैं। यहां समुद्र मंथन के दृश्य भी बने हैं।
Share this Photo Gallery
click me!
Recommended Photos