क्या है जार्ज फ्लॉयड की हत्या का मामला, जो अमेरिका के लिए कोरोना से ज्यादा खतरनाक साबित हो रहा है

Published : Jun 01, 2020, 02:21 PM ISTUpdated : Jun 01, 2020, 03:04 PM IST

वॉशिंगटन. अभी अमेरिका पर कोरोना का संकट कम भी नहीं हुआ था कि डोनाल्ड ट्रम्प के सामने एक और नई मुसीबत सामने आ गई है। यह मुसीबत जार्ज फ्लॉयड की हत्या का मामला है। जार्ज फ्लॉयड की मौत के बाद अमेरिका में बड़े स्तर पर हिंसक विरोध प्रदर्शन हो रहा है। कई शहर आग में जल रहे हैं। यहां तक की प्रदर्शनकारी व्हाइट हाउस तक पहुंच गए। इतना ही नहीं पुलिस के ऊपर पथराव भी किया गया। अमेरिका में ये हिंसक प्रदर्शन लगातार 6वें दिन हो रहे हैं। 40 शहरों में कर्फ्यू लगाया गया है, इन सबके बावजूद बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतर रहे हैं। 

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क्या है जार्ज फ्लॉयड की हत्या का मामला, जो अमेरिका के लिए कोरोना से ज्यादा खतरनाक साबित हो रहा है

क्या है मामला?
कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था। इसमें एक अश्वेत शख्स जॉर्ज फ्लॉयड जमीन पर लेटा नजर आ रहा है और उसके गर्दन के ऊपर एक पुलिस अफसर घुटना रखकर दबाता है। कुछ मिनटों के बाद फ्लॉयड की मौत हो जाती है। वीडियो में जॉर्ज कहते दिख रहे हैं, प्लीज आई कान्ट ब्रीद (मैं सांस नहीं ले पा रहा हूं)। यही उनके आखिरी शब्द थे। अब अमेरिका में प्रदर्शनकारी आई कॉन्ट ब्रीद का बैनर लिए विरोध कर रहे हैं। (फोटो- जॉर्ज फ्लॉयड)

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जार्ज फ्लॉयड मामले में हुआ क्या था?
25 मई को पुलिस को जानकारी मिलती है कि फ्लॉयड ने एक ग्रॉसरी स्टोर पर 20 डॉलर का नकली नोट दिया। इसके बाद पुलिस उसे गाड़ी में बैठाने की कोशिश करते हैं। लेकिन फ्लॉयड जमीन पर गिर जाता है। पुलिस उसे हथकड़ी पहनाती है। लेकिन पुलिस से फ्लॉयड की झड़प कहां से शुरू होती है, ये वीडियो में नहीं दिखता। डेरेक चौविन नाम का पुलिस अफसर फ्लॉयड के गर्दन पर घुटना रखकर दबाता है। इसके बाद फ्लॉयड की मौत हो जाती है।

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अमेरिका में मौजूदा हालत
अमेरिका में रविवार को प्रदर्शन हिंसक हो गए। यहां कई शहरों में पुलिस की गाड़ियां जला दी गईं। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए आसू गैस के गोले भी दागे, ग्रेनेड फेंके। इतना ही नहीं भीड़ ने स्टोर भी लूटे। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ट्वीट कर कहा, फिलाडेल्फिया में लोगों ने स्टोर्स लूटे। उन्होंने नेशनल गार्ड तैनात करने की बात भी कही। इसके अलावा सैंटा मोनिका और कैलिफोर्निया में भी लूट पाट की खबरें आईं।

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इतना ही नहीं अमेरिका के अटलांटा, जॉर्जिया, ह्यूस्टन, मिनियापोलिस में भी प्रदर्शन हो रहे हैं। बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतर रहे हैं। 

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ट्रम्प के बयान की हो रही आलोचना
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या के बाद परिवार को सांत्वना दी। लेकिन उन्होंने लिखा, जब लूट करना शुरू होता है तो शूट करना शुरू होता है। इसी वजह से मिनेपॉलिस में बुधवार को एक व्यक्ति को गोली मार दी गई। इस बयान की काफी आलोचना भी हुई। लेकिन ट्रम्प ने बाद में सफाई देते हुए कहा कि ये बयान नहीं फैक्ट है।

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साल का पहला वाकया नहीं
अमेरिका में अश्वेत पर हमले का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी इस तरह की घटनाएं होती रही हैं। लेकिन कुछ घटनाएं तूल पकड़ लेती हैं और कुछ दब जाती हैं। इससे पहले इसी साल 23 फरवरी को हथियारबंद गोरों ने 25 साल के अहमद आर्बेरी को गोली मार दी थी। इसके बाद 25 मार्च को ब्रेओना टेलर की उस वक्त हत्या कर दी गई, जब उनके घर पर एक गोरे पुलिस अधिकारी ने छापा मारा था।  

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बराक ओबामा ने कहा- यह सामान्य नहीं
पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इस घटना पर दुख जताया है। उन्होंने अपने बयान में कहा, 2020 में अमेरिका में ये सामान्य नहीं होना चाहिए। ये किसी सूरत में सामान्य नहीं हो सकता। 

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2014 में हुए थे इस तरह के विरोध प्रदर्शन
ट्रम्प के शासन में अश्वेत की मौत के बाद इस तरह का यह पहला विरोध प्रदर्शन है। इससे पहले 2014 में बराक ओबामा के राष्ट्रपति रहते इतने बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन हुए थे। उस वक्त फर्गुशन में एक गोरे पुलिस अफसर ने 18 साल के माइकल ब्राउन को गोली मार दी थी। इसके बाद पूरे देश में बड़े स्तर पर प्रदर्शन हुए थे। 

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चौंकाने वाले हैं आंकड़े
वॉशिंगटन पोस्ट ने जनवरी 2015 से पुलिस की ओर से फायरिंग में मारे जाने वाले लोगों का डेटाबेस बनाना शुरू किया था। इस डेटाबेस के मुताबिक, अब तक 4400 मामले दर्ज किए जा चुके हैं।

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अमेरिका में काले लोगों की आबादी मात्र 13% है। फिर भी गोली से मरने वालों की संख्या देखी जाए तो कुल मौतों का एक चौथाई हिस्सा काले लोगों का है। 

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