वर्ल्ड न्यूज डेस्क. रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध (Russia Ukraine War) का 4 मार्च को 9वां दिन है। इस बीच रूसी सेना ने यूरोप के सबसे बड़े परमाणु ऊर्जा संयंत्र, ज़ापोरिज्जिया एनपीपी(Zaporizhzhia nuclear power plant) पर हमले से आग लग गई है। इस हादसे ने दुनिया के सामने एक एक बड़ी चिंता पैदा कर दी है। कहा जा रहा है कि अगर इसमें आग भड़कती है, तो यह चेरनोबिल (Chernobyl) से 10 गुना बड़ा होगा। आखिर चेरनोबिल का जिक्र छिड़ते ही यूरोप के रूह क्यों कांप उठती है? यूक्रेन में ज़ापोरीज्ज्या (Zaporizhzhia) परमाणु ऊर्जा संयंत्र में 6 रिएक्टर हैं। यह पूरे यूरोप में सबसे बड़ा और पृथ्वी पर 9वां सबसे बड़ा रिएक्टर माना जाता है। यह संयंत्र चेरनोबिल शहर से करीब 16 किमी दूर और कीव से 100 किमी की दूर स्थित है। यहां 1986 में दुनिया की सबसे भीषण परमाणु आपदा सामने आई थी। 25-26 अप्रैल,1986 के दरमियान तत्कालीन सोवियत-नियंत्रित यूक्रेन में तकनीशियनों के एक समूह ने एक सुरक्षा परीक्षण किया था, जो फ़्लॉप हो गया था। इसके बाद चेरनोबिल के रिएक्टर नंबर 4 में कई धमाके हुए थे। यह अब तक की सबसे बड़ी परमाणु दुर्घटना है। इससे पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचा था। तब पर्यावरण को विकिरण हादसे से बिगड़ने से रोकने के लिए 1.8 करोड़ सोवियत रूबल (वर्तमान करीब 5 खरब भारतीय रुपये खर्च करने पड़े थे। उस समय मिखाइल गोर्बाचेव सोवियत संघ के राष्ट्रपति थे। 2006 में उन्होंने उल्लेख किया था कि चेरनोबिल में न्यूक्लियर हादसा ही शायद सोवियत संघ के पतन की वजह बना।