वाशिंगटन. अमेरिका के केंटकी राज्य में आए तूफान (Kentucky Tornadoes) ने मौसम विज्ञानियों को भविष्य के खतरे के लिए सचेत कर दिया है। 11 दिसंबर को आए इस भयंकर बवंडर की चपेट में अमेरिका के 6 राज्यों में जैसे कहर टूट पड़ा। 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। हजारों इमारते पत्तों की तरह ढह गईं या तहस-नहस हो गईं। अकेले मेडील्ड में 10000 बिल्डिंग बर्बाद हुई हैं। हजारों पेड़ जड़ से उखड़ गए। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन(Joe Biden) भी मानते हैं कि अमेरिका के इतिहास में पहले ऐसा तूफान नहीं देखा गया। तूफान की वजह एक ला नीना मौसम पैटर्न(La Nina weather pattern) भी माना जा रहा है। यहां दिसंबर में अकसर बवंडर आते हैं, लेकिन मौसम वैज्ञानिक चिंतित हैं कि कहीं ये जलवायु परिवर्तन(Climate change) के कारण तो नहीं आया? वैज्ञानिक भाषा में कहें तो प्रशांत महासागर में भूमध्य रेखा से ऊपर 140 से 120 डिग्री के बीच के हिस्से को नीनो-3.4 रीजन कहा जाता है, जब इस क्षेत्र में समुद्री सतह का तापमान सामान्य से नीचे होता है, तो इस स्थिति को ला-नीना कहते हैं। इसका असर दुनिया भर में मौसम पर प्रभाव पड़ता है।