घर में रहने के बजाय पार्टियां कर रहे स्वीडन के बेफिक्र लोग, पीएम ने कहा- हजारों मौतों के लिए तैयार रहें

स्टॉकहोल्म. दुनिया के 199 देश कोरोना वायरस की चपेट में हैं। अब तक करीब 69 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। यूरोप इस महामारी से बुरी तरह से प्रभावित है। यूरोप के इटली, स्पेन, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस हर तरफ हाहाकार मचा है। कोरोना को फैलने से रोकने के लिए दुनियाभर के तमाम देशों में लॉकडाउन किया गया है। लेकिन यूरोप में एक ऐसा भी देश है, जहां लोग अभी भी कोरोना को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। यहां ना सरकार ने लॉकडाउन का कोई ऐलान किया है। यहां तमाम केस सामने आने के बावजूद लोग पार्टियां कर रहे हैं। पार्कों में भी 500-500 लोग इकट्ठा हो रहे हैं।

Asianet News Hindi | Published : Apr 6, 2020 7:40 AM IST / Updated: Apr 14 2020, 06:18 PM IST

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घर में रहने के बजाय पार्टियां कर रहे स्वीडन के बेफिक्र लोग, पीएम ने कहा- हजारों मौतों के लिए तैयार रहें

हम बात कर रहे हैं, यूरोप के देश स्वीडन की है। यहां लोग अभी भी पार्टी करते और इकट्ठा होते नजर आ रहे हैं। अब स्वीडन के प्रधानमंत्री स्टीफन लफ्वेन ने लोगों को कड़ी चेतावनी दी है। उन्होंने कहा, अगर स्वीडन के लोग अपना रवैया नहीं सुधारते और कोरोना वायरस को गंभीरता से नहीं लेते तो हजारों मौतों के लिए तैयार रहें। इसके बावजूद हालात जैसे के तैसे हैं।

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स्वीडन के सिर्फ लोग ही नहीं, सरकार भी कोरोना के प्रति गंभीर नजर नहीं आ रही है। प्रधानमंत्री का यह बयान तब 2300 डॉक्टर और शैक्षणिक विद्वानों ने सरकार पर कोरोना को गंभीरता से ना लेने और कोई ठोस कदम ना उठाने का आरोप लगाया।
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अब प्रधानमंत्री ने लोगों से हजारों मौतों के लिए तैयार रहने के लिए कहा है। जहां यूरोप के लगभग सभी देशों में लॉकडाउन है और लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे हैं, वही, स्वीडन में लोग अभी भी सामान्य जिंदगी जी रहे हैं। यहां लोगों की भीड़ आसानी से देखने को मिल रही है।

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यहां बार, स्कूल और दफ्तर सभी खुले हुए हैं। 500-500 लोग एक जगह पर जुट रहे हैं। यहां सिर्फ जिम्मेदार लोगों ने ही खुद को घर पर आइसोलेशन में रखा है। पिछेल हफ्ते 2000 से ज्यादा डॉक्टर और विद्वानों ने खुला खत लिखकर सरकार को आगाह किया था और कड़े कदम उठाने को कहा।
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ऐसा नहीं है कि स्वीडन में अभी तक कोरोना का कोई मामला सामने नहीं आया हो। यहां अब तक 6830 केस सामने आए हैं। वहीं, 401 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, स्वीडन की तुलना में कई ऐसे देश हैं, जहां इससे कम मामले सामने आए हैं, फिर भी वहां लॉकडाउन जैसे कड़े कदम उठाए गए हैं।
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स्वीडन की राजधानी में स्टॉकहोल्म में कोरोना संक्रमण के 50 मामले सामने आने के बाद यहां भी लॉकडाउन करने की मांग उठ रही है।
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हालांकि, स्वीडन में अन्य यूरोपी देश इटली और स्पेन की तरह संक्रमण नहीं फैला है। लेकिन इसमें कभी भी वृद्धि हो सकती है।
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हालांकि, सरकार ने हाल ही में कहा है कि लोग जितना हो सके, घर से काम करें और जिनकी उम्र 70 साल से ऊपर है, वे घर पर रहें। हालांकि, अभी तक यहां लॉकडाउन जैसा कोई कदम नहीं उठाया गया है।
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स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोल्म में अभी भी लोग खुले तौर पर रेस्टोरेंट में पार्टी करते नजर आ रहे हैं। जबकि स्वीडन के लगभग सभी पड़ोसी देशों में लॉकडाउन लगा हुआ है।
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स्वीडन की सोशल डेमोक्रेटिक नेतृत्व वाले गठबंधन की सरकार ने सिर्फ अभी तक यूनिवर्सिटियों और कॉलेजों को बंद किया है और रेस्तरां और बारों में आदेश दिया है कि वे लोगों की टेबल पर जाकर ही सर्व करें।
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इसके अलावा यहां पब्लिक गैदरिंग पर रोक है। लेकिन 50 या उससे ज्यादा लोगों पर। यह यूरोप के अन्य देशों की तुलना में काफी हल्का है। ब्रिटेन में 2 से अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर रोक है।
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वहीं, स्वीडन में 16 साल से कम उम्र के बच्चे अभी भी स्कूल जा रहे हैं। यहां रेस्टोरेंट और बार में अभी भी भीड़ देखी जा सकती है। लोग पार्टी करते हुए नजर आ रहे हैं।
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हालांकि, स्वीडन में अन्य देशों की तुलना में कोरोना वायरस देर में पहुंचा। यहां पहली मौत 11 मार्च को हुई। उस वक्त ब्रिटेन में कोरोना वायरस से 8 जबकि, इटली में 800 लोगों की मौत हो चुकी थी।
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स्वीडन के सेंटर फॉर डिजिज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक, यहां कोरोना से हर एक मिलियन लोगों पर 14 की मौत हुई है। वहीं, इटली में यह 192 और स्पेन में यह 157 है।
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हालांकि, जानकारों की मानें तो यह आंकड़े भ्रमित करने वाले हैं। दरअसल, यह कमी इसलिए है क्योंकि कोरोना का संक्रमण स्वीडन में देर से शुरू हुआ।
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वहीं, स्वीडन के पड़ोसी डेनमार्क, फिनलैंड और नॉर्वे की बात करें को यहां अभी तक काफी कम मौतें हुई हैं। फिर भी इन देशों की सरकार ने कड़े प्रतिबंध लगाते हुए लॉकडाउन कर रखा है।
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स्वीडन में सिर्फ सरकार ही नहीं, लोग भी काफी लापरवाह नजर आ रहे हैं। यहां शनिवार को पार्कों, बार और रेस्टोरेंट में बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। जबकि स्वीडन के पड़ोसी देशों में लगातर मौतों के आंकड़े बढ़ रहे हैं।
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