कोरोना की वैक्सीन अगले साल तक आने की उम्मीद, थाईलैंड के वैज्ञानिकों ने बंदरों पर शुरू किया परीक्षण

थाईलैंड। कोरोना महामारी का कहर पूरी दुनिया में लगातार बढ़ता ही जा रहा है। ज्यादातर देश इस महामारी का सामना कर रहे हैं। दुनिया भर में कोरोना वायरस संक्रमण के अब तक 55 लाख, 26 हजार से भी ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं, वहीं इससे 3 लाख, 46 हजार, 761 लोगों की मौत हो चुकी है। अभी तक इस वायरस को खत्म करने के लिए कोई वैक्सीन नहीं बन पाई है, लेकिन दुनिया भर के वैज्ञानिक वैक्सीन बनाने की कोशिश में लगे हुए हैं। अभी कोरोना वायरस के संक्रमण का इलाज लक्षणों के आधार पर किया जा रहा है। इसी बीच, थाईलैंड के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उन्होंने कोरोना वायरस की वैक्सीन तैयार कर ली है। इस वैक्सीन का ट्रायल बंदरों पर किया जा रहा है। इसके पहले चूहों पर इस वैक्सीन का सफल ट्रायल किया जा चुका है। थाईलैंड के वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि अगले साल तक इस वैक्सीन का प्रोडक्शन शुरू किया जा सकेगा और यह बाजार में उपलब्ध हो जाएगी। देखें इससे जुड़ी तस्वीरें।

Asianet News Hindi | Published : May 25, 2020 9:33 AM IST / Updated: May 25 2020, 03:59 PM IST
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कोरोना की वैक्सीन अगले साल तक आने की उम्मीद, थाईलैंड के वैज्ञानिकों ने बंदरों पर शुरू किया परीक्षण

थाईलैंड के वैज्ञानिकों ने चूहों पर कोरोना वायरस की वैक्सीन का सफल ट्रायल करने के बाद बंदरों पर इसे शुरू किया है। 

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थाईलैंड के हायर एजुकेशन, साइंस, रिसर्च और इनोवेशन मिनिस्टर ने कहा है कि रिसर्चर्स ने बंदरों पर वैक्सीन का ट्रायल शुरू कर दिया है और इसका परिणाम सितंबर तक सामने आएगा। चुला वैक्सीन रिसर्च सेंटर में एक लैब टेक्नीशियन कोरोना वैक्सीन टेस्टिंग की शीशी लिए हुए दिखाई पड़ रहा है।

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थाईलैंड के प्राइम मिनिस्टर का कहना है कि वैक्सीन बनाने का यह प्रोजेक्ट सिर्फ थाईलैंड के लिए नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए है। प्रधानमंत्री प्रयुत चन ओचा ने कहा कि अगर यह परियोजना सफल रहती है, तो पूरी दुनिया को इससे फायदा होगा।

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थाईलैंड चीन के बाद पहला वह देश है, जहां जनवरी में कोरोना वायरस संक्रमण का मामला सामने आया था। थाईलैंड के चुला वैक्सीन रिसर्च सेंटर में एक लैब टेक्नीशियन वैक्सीन टेस्टिंग के लिए काम करती हुई।

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दुनिया भर में अब तक कोरोना वायरस के 100 से ज्यादा वैक्सीन बनाने की प्रॉसेस चल रही है। कुछ वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल भी हो चुके हैं, लेकिन वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने अप्रैल में ही यह कहा था कि इसमें कम से कम एक साल का वक्त लग जाएगा। 

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अमेरिका की दवा निर्माता कंपनी मॉडर्ना इंक ने कोरोना की एक्सपेरिमेंटल वैक्सीन बनाई, जिसका टेस्ट किया गया। वॉलन्टियर्स के एक छोटे ग्रुप पर जब इसका टेस्ट किया गया तो पता चला कि उनमें एंटीबॉडीज बनी है। कंपनी से इससे संबंधित डाटा पेश किया था।

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जॉनसन एंड जॉनसन और फाइजर इंक जैसी दवा निर्माता कंपनियां कोरोना वायरस का वैक्सीन बनाने की कोशिश में लगी हैं। फाइजर इंक जर्मनी के BioNTech SE से मिल कर वैक्सीन बना रही है।

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 बंदर पर ट्रायल के लिए कोरोना वायरस वैक्सीन का एक डोज लिए लैब टेक्नीशियन। 

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 अगर वैक्सीन का ट्रायल सफल रहता है तो थाईलैंड दो मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को इसके निर्माण की इजाजत देगा।

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थाईलैंड के नेशलन प्राइमेट रिसर्च सेंटर में बंदर के एक बच्चे पर कोरोना वायरस की वैक्सीन का टेस्ट किया गया है। इसके लिए messenger RNA तकनीक अपनाई गई है।

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 थाईलैंड में यह वैक्सीन नेशनल वैक्सीन इंस्टीट्यूट, डिपार्टमेंट ऑफ मेडिकल साइंस और चुललॉन्गकोर्न यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित की जा रही है।     
 

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