जिस सिंध से पाकिस्तान को मिलता है 70% राजस्व, वहां बचे सिर्फ 2.5 लाख हिंदू, वे भी अब अलग देश चाहते हैं

पाकिस्तान में अधिकतर हिंदू अल्पसंख्यक सिंध प्रांत में बसते हैं। अगर 1998 में पाकिस्तान की जनगणना सही मानें, तो यहां अब सिर्फ 2.5 लाख हिंदू बचे हैं। ये लोग अब पाकिस्तान से आजादी की मांग उठा रहे हैं। यानी पाकिस्तान का एक और टुकड़ा। इसके पीछे इस्लामिक कट्टरपंथियों के अत्याचार हैं। यहां मंदिरों को तोड़ा जा रहा है। हिंदू लड़कियों से जबरन निकाह करके उन्हें धर्म बदलने पर मजबूर किया जा रहा है। आधुनिक सिंधी राष्ट्रवाद के संस्थापकों में एक रहे जीएम सैयद की 117वीं जयंती पर जामशोरो प्रांत में अल्पसंख्यक हिंदुओं द्वारा निकाली गई विशाल रैली ने इस मामले को दुनियाभर की नजरों में सामने ला दिया है। रैली में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित विश्च के अन्य बड़े नेताओं के पोस्टर शामिल थे। आइए पढ़ते हैं पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की कहानी...
 

Asianet News Hindi | Published : Jan 18, 2021 7:00 AM IST / Updated: Jan 18 2021, 12:53 PM IST

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जिस सिंध से पाकिस्तान को मिलता है 70% राजस्व, वहां बचे सिर्फ 2.5 लाख हिंदू, वे भी अब अलग देश चाहते हैं

पाकिस्तान का सिंधु राज्य प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता और वैदिक धर्म का स्थल है। 1947 में बंटवारे के बाद इस प्रांत को पाकिस्तान को सौंप दिया गया था। बता दें कि सिंध को पाकिस्तान से अलग करने की मांग 1967 से उठाई जाती रही है। तब जीएम सैयद और पीर अली मोहम्मद राशिद के नेतृत्व में सिंधुदेश आंदोलन शुरू हुआ था। 1921 में भारतीय पुरातत्व विद राखालदास ने सिंध के लरकाना में सिंधु घाटी सभ्यता का पता लगाया था। बता दें कि सिंध पाकिस्तान की सबसे धनी प्रांत है। देश का 70 प्रतिशत राजस्व सिंध से ही मिलता है।
(ये तस्वीरें अल्पसंख्यकों के इस्लामिक कट्टरपंथियों के खिलाफ फूटते गुस्से की हैं)

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पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर लगातार अत्याचार बढ़ते जा रहे हैं। न्यूज लांड्री ने 2 साल पहले एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। इसे अमेरिका में रहने वाली प्रो. शास्वती ने तैयारी की थी। इसका आधार हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन की 74 पेज की रिपोर्ट को बनाया गया था। इसमें कहा गया बंटवारे के बाद पाकिस्तान में हिंदुओं की संख्या 15 प्रतिशत थी। जबकि बंटवारे के पहले 24 प्रतिशत। 1998 की जनगणना के हिसाब से पाकिस्तान में हिंदू सिर्फ 1.6 प्रतिशत बचे हैं। पाकिस्तान से हिंदुओं का पलायन लगातार जारी है।
(यह तस्वीर पुरान है, जो यहां चल रहे आंदोलन को दिखाती है)

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सिंध प्रांत में मंदिरों को गिराने के मामले भी लगातार सामने आते रहते हैं। खैबर परख्तूनख्वां के करक जिले में 30 दिसंबर, 2020 को इस्लामिक कट्टरपंथियों ने एक हिंदू मंदिर को तोड़कर आग लगा दी थी। जनवरी, 2020 में कट्टरपंथियों ने पाकिस्तान के पंजाब के शहर ननकाना साहिब में नानका साहिब गुरुद्वारे पर हमला किया था। ये उदाहरण है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक इस्लामिक कट्टरपंथियों से परेशान हैं।
(एक पुरानी घटना, इस तरह तोड़े जा रहे मंदिर)

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बंटवारे के दौरान 44 लाख हिंदुओं और सिखों ने पाकिस्तान से पलायन किया था। 1950 तक 47 लाख हिंदू और 65 लाख मुस्लिम यहां से वहां हुए थे। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित करके उनका जबरन धर्म परिवर्तन कराने के मामले सामने आते रहते हैं। पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने कुछ साल पहले अपनी रिपोर्ट में कहा था कि हिंदू और ईसाई लड़कियों के जबरन धर्म परिवर्तन के सबसे अधिक मामले सिंध प्रांत में दर्ज हुए। 

(आंदोलन की एक पुरानी तस्वीर)

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सिंध संस्कृत के शब्द से आया है, जो सिंधु से बना है। इसका अर्थ समुद्र होता है। सिंधु नाम की एक नदी भी है, जो सिंध प्रदेश के बीचों-बीच बहती है। इतिहासविदों के अनुसार, ईसापूर्व 1900 तक यहां सिंधु घाटी सभ्यता खूब फली-फूली। मिस्र में कपास के लिए सिंध का प्रयोग होता था। कहा जाता है कि मिस्र से ही सिंध में कपास आयात होता था।
(सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेष)

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