अफगानिस्तान हो या Syria, दोनों का हाल एक जैसाः US आर्मी ने ड्रोन से उड़ा दी Al Qaeda के लीडर की कार

Published : Sep 21, 2021, 10:51 AM ISTUpdated : Sep 21, 2021, 12:02 PM IST

दमिश्क(Damascus). इन दिनों दुनियाभर में अफगानिस्तान(Afghanistan) की चर्चा है। Syria के हालात भी सालों से ऐसे ही बने हुए हैं। सीरिया में भी लगातार गृहयुद्ध जारी है। US आर्मी ने वहां फिर आतंकवादी समूह अल कायदा (Al Qaeda) के एक सीनियर लीडर को ड्रोन हमले (Drone Attack) में उड़ा दिया। हालांकि जिस कार को अटैक करके उड़ाया गया, उसमें बैठे शख्स का शव बुरी तरह जल चुका है, इसलिए पहचान करन पाना मुश्किल है। लेकिन कहा यही जा रही है कि वो अलकायदा का आतंकवादी था। बता दें कि सीरिया पिछले 10 सालों से गृहयुद्ध से जूझ रहा है। इसने पूरे देश को बर्बाद कर दिया है।

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अफगानिस्तान हो या Syria, दोनों का हाल एक जैसाः US आर्मी ने ड्रोन से उड़ा दी Al Qaeda के लीडर की कार

यूएस सेंट्रल कमान की ओर से जारी बयान में कहा गया कि अमेरिकी बलों ने इदलिब प्रांत के निकट यह ड्रोन हमला किया था। यह इलाका विद्रोहियों के कब्जे में है। असैन्य सुरक्षा दल ‘व्हाइट हेलमेट्स’ ने भी इसकी पुष्टि की है।

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ब्रिटेन स्थित सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स ने भी माना कि मरने वाला आदमी अलकायदा से जुड़ा था। बता दें कि शनिवार को दमिश्क (Damascus) के दक्षिण-पूर्व में एक प्रमुख प्राकृतिक गैस पाइपलाइन पर आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (Islamic State) ने हमला किया था।

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पिछले 10 साल से गृहयुद्ध झेल रहा सीरिया पूरी तरह बर्बाद हो गया है। अब यहां वो ही लोग रह गए हैं, जो कहीं जा नहीं सकते या आखिरी दम तक अपना देश छोड़ना नहीं चाहते। सीरिया खंडहरों का देश बन चुका है। अरब क्रांति के बाद मार्च, 2011 में सीरिया के दक्षिणी शहर दाराआ में भी लोकतंत्र के समर्थन में आंदोलन शुरू हुए थे। इसके बाद तानाशाह बशर अल असाद ने विरोधियों को कुचलना शुरू किया। 2012 में सीरिया में गृहयुद्ध चरम पर पहुंच गया। 

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सीरिया में स्कूल-कॉलेज जैसी कोई चीज नहीं बची। लोगों के लिए सबसे बड़ी लड़ाई अब दो वक्त की रोटी की है। यह उनका अब जीवन है। WHO की रिपोर्ट के अनुसार, गृहयुद्ध में सीरिया में पिछले 10 साल में 3.80 लाख लोग मारे जा चुके हैं।

(एक पुरानी और एक नई तस्वीर)

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संयुक्त राष्ट्र की दो बड़ी एजेंसियों विश्व खाद्य कार्यक्रम(WFP) और यूनिसेफ ने कुछ समय पहले बताया था कि सीरिया में सवा करोड़ लोग खाने को तरस रहे हैं। यह संख्या यहां की कुल आबादी की 60 प्रतिशत है।

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सीरिया दक्षिण-पश्चिम एशिया का राष्ट्र है। इजरायल और इराक के बीच स्थित होने के कारण यह मध्य-पूर्व का महत्वपूर्ण देश है। अप्रैल, 1946 में फ्रांस से स्वाधीनता मिलने के बाद यहां बाथ पार्टी ने शासन किया। लेकिन 1963 से यहां इमरजेंसी लागू है। 1970 के बाद से यहां असर के परिजन ही शासन करते हैं। इस परिवार के खिलाफ लोगों ने विद्रोह किया हुआ है।

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सीरिया की आबादी करीब 1.7 करोड़ रही है। यहां 87 प्रतिशत मुसलमान और 10 प्रतिशत क्रिश्चियन रहते हैं। यहां अरबी के अलावा इंग्लिश और फ्रेंच बोली जाती है। सीरिया एक ऐसा देश है, जिसने रोम, मंगोल और तुर्कों तक के हमले झेले। यहां रहने वालीं कुर्द, सुन्नी, शिया, ईसाई सहित अन्य कौमें आपस में लड़ती रहीं। इसका फायदा उठाकर यूरोप ने इस पर कब्जा कर लिया। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सीरिया भी फ्रांस के चंगुल से मुक्त हुआ, लेकिन राजनीतिक परेशानियों में उलझ गया। इसने 160 में इजिप्ट के साथ मिलकर यूनाइटेड अरब रिपब्लिक बनाया। फिर 1967 में जॉर्डन और इजिप्ट के साथ मिलकर युद्ध किया। इसमें यह हार गया। इसके बाद सीरिया के हालत बिगड़ते चले गए।

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1970 में हाफिज अल असद ने सीरिया पर तानाशाही तरीके से अपनी सरकार बना ली। ये शिया कौम से हैं और बाथ पार्टी चलाते थे। बाथ का अर्थ होता है पुनर्जारण। 1982 में मुस्लिम ब्रदरहुड ने असद के खिलाफ जंग छेड़ दी। इसमें हजारों सीरियन मारे गए। 2000 में हाफिज असद भी मारा गया। इसके बाद उसके बेटे अल असद तानाशाह बनकर देश पर काबिज हो गया। 2011 में असद के खिलाफ डेमोक्रेसी की मांग को लेकर उग्र प्रदर्शन होने लगे। यहां असद ने विद्रोहियों पर सेरीन नामक गैस का इस्तेमाल किया। यह गैस दिमाग पर असर करती है। इसके बाद उग्रवादी लोगों ने असद के खिलाफ हथियार उठा लिए।

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सीरिया के गृहयुद्ध में तमाम देश अपनी सुविधा के हिसाब से असद या विद्रोहियों की मदद कर रहे हैं। अमेरिका जहां असद को हटाने के लिए विद्रोहियों को सपोर्ट कर रहा है, वहीं रूस असद के सपोर्ट में है। अमेरिका ने 2014 से लेकर अब तक सीरिया में असद के खिलाफ कई  हवाई हमले किए। सीरिया की लड़ाई अब ऐसे मोड़ पर आकर खड़ी है, जिसका असर सारी दुनिया पर पड़ सकता है।

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