क्या है परमाणु बम, कैसे मचाता है तबाही? दुनिया में किसके पास हैं सबसे ज्यादा और खतरनाक न्यूक्लियर वैपन

Russia-Ukraine War: रूस और यूक्रेन में पिछले 7 महीने से चल रहा युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसी बीच, क्रीमिया ब्रिज पर हमले के बाद अब रूस ने जंग और तेज कर दी है। इतना ही नहीं, यूक्रेन समेत पूरी दुनिया को अब इस बात का डर सता रहा है कि पुतिन कहीं बदला लेने के लिए परमाणु हमला न कर दें। यही वजह है कि यूक्रेन के लोग एक तरफ जहां न्यूक्लियर अटैक के डर से देश छोड़कर भाग रहे हैं, वहीं कई लोग खुद को बचाने के लिए बंकरों में छुपने को मजबूर हैं। आखिर क्यों बढ़ा परमाणु हमले का खतरा, क्या है परमाणु बम, क्या बंकर इस हमले से बचा सकते हैं? आइए जानते हैं सबकुछ। 

Ganesh Mishra | Published : Oct 12, 2022 6:34 PM IST / Updated: Oct 13 2022, 11:26 AM IST

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क्या है परमाणु बम, कैसे मचाता है तबाही? दुनिया में किसके पास हैं सबसे ज्यादा और खतरनाक न्यूक्लियर वैपन

क्यों बढ़ा परमाणु हमले का खतरा?
रूस को क्रीमिया से जोड़ने वाले ब्रिज पर हुए हमले के बाद से ही पुतिन बौखलाए हुए हैं। रूस इसे अपनी शान पर हुआ हमला मान रहा है। ठीक वैसे, ही जैसे जापान ने दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान अमेरिका के नौसैनिक अड्डे पर्ल हार्बर पर हमला कर उसे तबाह कर दिया था। ऐसे में रूस की शान क्रीमिया ब्रिज पर हुए हमले को भी इसी से जोड़कर देखा जा रहा है। दूसरी ओर, पुतिन पहले ही कह चुके हैं कि अगर उनके सम्मान पर हमला हुआ तो वो परमाणु हथियार का इस्तेमाल करने से भी पीछे नहीं हटेंगे। 

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क्या है परमाणु बम?
परमाणु बम नाभिकीय विखंडन (Nuclear Fission)के सिद्धांत पर काम करता है। किसी भी परमाणु में तीन कण होते हैं, जिन्हें इलेक्ट्रॉन, प्रोटोन और न्यूट्रॉन कहते हैं। जब परमाणु के न्यूक्लियस (नाभिक) को तोड़ने के लिए उस पर न्यूट्रॉन की बमबारी की जाती है तो इससे नाभिक टूट जाता है और बेरियम तथा क्रिप्टॉन के परमाणु बनते हैं। इसके साथ ही बड़ी मात्रा में ऊर्जा निकलती है।

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कैसे काम करता है परमाणु बम?
चूंकि सभी पदार्थ परमाणु से बनते हैं। हर परमाणु के केंद्र में नाभिक (Nucleas) होता है। यह नाभिक प्रोटॉन और न्यूट्रॉन से बना होता है। जब परमाणु के नाभिक को तोड़ने के लिए उस पर यूरेनियम 235 से न्यूट्रॉन की बौछार की जाती है तो उनके टूटने से बड़ी मात्रा में एनर्जी निकलती है। एक बार यह प्रॉसेस शुरू हो जाए तो फिर एक के बाद एक नाभिक टूटते रहते हैं और भारी मात्रा में एनर्जी निकलती है। यह एनर्जी इतनी गर्मी और रेडिएशन पैदा करती है, जिससे बड़ी तबाही मचती है।  

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एक झटके में लाखों जानें ले सकता है परमाणु बम : 
- परमाणु बम फिलहाल धरती के सबसे घातक हथियार हैं। इनका इस्तेमाल तबाही ला सकता है और ऐसा पहले हो भी चुका है। 
- अब के परमाणु बम इतने घातक है कि इनसे न सिर्फ एक शहर बल्कि पूरे देश को तबाह किया जा सकता है। 
- परमाणु बम के हमले से पैदा हुई शॉक वेव और गर्मी इतनी ज्यादा होती है कि लोग झुलस कर ही मर जाते हैं। इसके अलावा बंकर में छुपे लोग ऑक्सीजन की कमी के चलते दम घुटने से मारे जाते हैं।
- हमले के बाद इससे लाखों मौतें तो होंगी ही, साथ ही जमीन बंजर हो जाएगी। पेड़-पौधे पूरी तरह जल जाएंगे। रेडिएशन का असर इतना खतरनाक होता है कि आने वाली कई पीढ़ियां अपाहिज पैदा होती हैं। 

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टेस्टिंग के महीनेभर बाद हुआ पहला परमाणु हमला : 
अमेरिकी वैज्ञानिक रॉबर्ट ओपनहीमर को 'परमाणु बम का पिता' माना जाता है। 16 जुलाई 1945 को उनकी देखरेख में पहला परमाणु परीक्षण हुआ था। पहले परमाणु परीक्षण के महीनेभर बाद ही अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा शहर पर 6 अगस्त, 1945 को दुनिया का पहला परमाणु हमला किया था। इस हमले के तीन दिन बाद जापान के एक और शहर नागासाकी पर 9 अगस्त को परमाणु बम गिराया गया। इस हमले में जापान के लाखों लोग मारे गए थे। 

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किस देश के पास है सबसे घातक परमाणु बम? 
आज के दौर में सबसे घातक और सबसे ज्यादा परमाणु हथियारों की बात करें तो नंबर वन पर रूस है। रूस के पास करीब 6 हजार परमाणु हथियार हैं, जो बेहद खतरनाक हैं। यहां तक कि दुनिया का सबसे घातक परमाणु बम Tsar Bomba भी रूस के पास है। इस बम को रूस ने अपनी सैन्य ताकत दिखाने के लिए बनाया था, लेकिन यह आकार और वजन में इतना बड़ा था कि इसे इस्तेमाल कर पाना मुश्किल था। बाद में रूस ने इसका अपग्रेडेड वर्जन यानी RDS-220 Tsar bomba तैयार कर लिया है।

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परमाणु हमले से बचने के लिए कर रहे ये उपाय : 
- रूस की तरफ से यूक्रेन की राजधानी कीव पर एक ही दिन में दागी गई 83 मिसाइलों के बाद से वहां की जनता बेहद खौफ में है। यही वजह है कि लोग बंकर बनाकर छुपने की कोशिश कर रहे हैं। 
-  इसके बलावा लोगों को पोटेशियम आयोडाइड की गोलियां दी जा रही हैं। पोटेशियम आयोडाइड से पोटैशियम आयोडाइड का इस्तेमाल थायराइड को आयोडीन से सैचुरेट करने के लिए किया जाता है। ताकि रेडियोएक्टिव आयोडीन के संपर्क में आने से थायरॉयड गंथ्रि पर उसका असर न हो।
- इतना ही नहीं अमेरिका ने भी एंटी-रेडिएशन दवाएं खरीदने के लिए 2389 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। इसके अलावा यूरोपीय देशों में भी इन दवाओं की बिक्री बढ़ गई है। 

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