कभी मोदी के नाम पर चिढ़ते थे यहां के मुसलमान, अब बन रहे भाजपाई!

Published : Oct 03, 2019, 10:06 AM ISTUpdated : Oct 03, 2019, 10:10 AM IST
कभी मोदी के नाम पर चिढ़ते थे यहां के मुसलमान, अब बन रहे भाजपाई!

सार

हरियाणा विधानसभा चुनाव के बिगुल के साथ ही सियासी फिजा भी बदलती नजर आ रही है। बीजेपी का नाम आने पर जो कभी आंखे तराने लगते थे, वही लोग अब नरेंद्र मोदी और मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में राजनीतिक पारी खेलने के लिए सियासी रणभूमि में उतरे हैं। हम बात कर रहे हैं हरियाणा के मुस्लिम बहुल मेवात की, जहां से बीजेपी के चुनाव निशान पर दो मुस्लिम उम्मीदवार सियासी रणभूमि में उतरे हैं।

चंडीगढ़. हरियाणा विधानसभा चुनाव के बिगुल के साथ ही सियासी फिजा भी बदलती नजर आ रही है। बीजेपी का नाम आने पर जो कभी आंखे तराने लगते थे, वही लोग अब नरेंद्र मोदी और मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में राजनीतिक पारी खेलने के लिए सियासी रणभूमि में उतरे हैं। हम बात कर रहे हैं हरियाणा के मुस्लिम बहुल मेवात की, जहां से बीजेपी के चुनाव निशान पर दो मुस्लिम उम्मीदवार सियासी रणभूमि में उतरे हैं।  

दो दिग्गज मुस्लिम नेताओं पर दांव

हरियाणा का मेवात वह इलाका है जहां मुस्लिम मतदाता हार जीत का फैसला करते है। मोदी लहर में भी बीजेपी यहां कमल नहीं खिला सकी थी। इसी मद्देनजर बीजेपी ने अब मेवात की सियासी जमीन में कमल खिलाने का दो दिग्गज मुस्लिम नेताओं पर दांव लगाया है। इसमें नूंह विधानसभा सीट से जाकिर हुसैन और फिरोजपुर झिरका क्षेत्र से नसीम अहमद को टिकट देकर सियासी रण में उतारकर बड़ा दांव चला है। 

 बीजेपी ने हरियाणा में दो मुस्लिम कैंडिडेट उतारकर एक साथ दो दांव खेले हैं। पहला यह है कि 2 टिकटों से यह मिथक तोड़ दिया है कि बीजेपी मुस्लिमों को कम टिकट देती है। दूसरा यह है कि बीजेपी जिन मुस्लिम बहुल इलाकों को काफी कोशिशों के बाद भी जीत नहीं सकी थी, वहां पर मुस्लिम कद्दावर नेताओं के सहारे जीत दर्ज का सेहरा बांधना चाहती है।

मुस्लिम बहुल इलाका मेवात

दरअसल हरियाणा के मेवात इलाके में बीजेपी अपनी सियासी जमीन को मजबूत करने के लिए लंबे समय से कवायद कर रही है, लेकिन मुस्लिम बहुल इलाका होने की वजह से यहां वह पैर नहीं जमा सकी। इसी का नतीजा है कि 2014 के विधानसभा चुनाव में मेवात इलाके की पांच विधानसभा सीटों में से महज एक सीट ही जीत सकी थी, जबकि तीन सीटें इनेलो और एक सीट निर्दलीय के खाते में गई थी।

2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने हरियाणा की सभी 10 लोकसभा सीटें जीत ली हैं। इसके बावजूद बीजेपी हरियाणा में विधानसभावार समीक्षा की गई तो पता चला कि बीजेपी को 78 विधानसभा सीटों पर दूसरे पार्टियों से ज्यादा वोट मिले थे, लेकिन 12 सीटों पर पार्टी कांग्रेस व अन्य पार्टियों से पीछे थी. ये 12 सीटें मेवात और जाट बहुल इलाक की थीं।

तीन मुस्लिम विधायकों ने बीजेपी का दामन थामा

ऐसे में बीजेपी ने एंटी-जाट और एंटी मुस्लिम छवि को बदलने के लिए रणनीति बनाई। इसके बाद बीजेपी ने काफी बड़ी तादाद में दूसरे दलों के जाट और मुस्लिम विधायकों को अपने पाले में लाने का दांव चला था और इस रणनीति में पार्टी कामयाब भी रही है।

मेवात इलाके के तीन मुस्लिम विधायकों ने बीजेपी का दामन थामा था। इनमें जाकिर हुसैन और नसीम अहमद इनेलो छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे, जिन्हें पार्टी ने टिकट देकर मैदान में उतारा है, जबकि पुन्हाना से निर्दलीय विधायक रहीस खान ने भी बीजेपी का दामन थामा था, पर पार्टी उन पर भरोसा नहीं जता सकी। बीजेपी ने उनकी जगह नौकशाम चौधरी को टिकट दिया है, जो कि दलित समुदाय से हैं।

मेवात में मुस्लिम मतदाता ही किंग

बीजेपी ने हरियाणा में मिशन-75 प्लस सीटें जीतने का लक्ष्य रखा हुआ है। इसलिए उसने मुस्लिमों को भी टिकट देकर सबका साथ, सबका विकास का संदेश दिया है। बीजेपी इस बार के विधानसभा चुनाव में मेवात क्षेत्र की 5 विधानसभा सीटों को हर हाल में जीतना चाहती है. इसके लिए वह हरसंभव कोशिश कर रही है. हरियाणा में मुस्लिम मतदाता 7.2 फीसदी हैं, लेकिन मेवात में 70 फीसदी के करीब मुस्लिम आबादी है।

मेवात के नूंह, पुन्हाना, फिरोजपुर झिरका सीट पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में है. इसके अलावा सोहना और हथीन सीट पर मुस्लिम किंगमेकर की भूमिका में हैं। इसमें हथीन सीट ही बीजेपी पिछली बार जीत सकी थी. अतीत की अगर बात करें तो महज एक बार हरियाणा विकास पार्टी-बीजेपी गठबंधन के दौरान कंवर सूरजपाल तावडू विधानसभा में कड़ी मशक्कत के बाद जीत दर्ज कर पाए थे। इसके बाद से बीजेपी के लिए यह इलाका सूखा रहा है।

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