छुट्टियों में नानी के घर गई थी 7 साल की बच्ची, लौटी तो पेड़ न देखकर फूट-फूटकर रो पड़ी

यह सिर्फ एक पेंटिंग नहीं है। यह एक चेतावनी है। इस पेंटिंग को बनाने वाली बच्ची उस वक्त बहुत रोई थी, जब उसके घर के पेड़ काट दिए गए थे। उसने एक ऐसी पेंटिंग बनाई, जिसे गूगल ने डूडल में जगह दी। जानिए पूरा मामला...
 

Asianet News Hindi | Published : Nov 15, 2019 12:06 PM IST

गुड़गांव(हरियाणा). इस पेंटिंग को एक ALERT समझिए! जिस गति से पेड़ काटे जा रहे हैं, वो भविष्य में गंभीर समस्या खड़ी कर सकता है। अभी सिर्फ दिल्ली और समीपवर्ती राज्यों के कुछ शहर भयंकर प्रदूषण से जूझ रहे हैं। स्थितियां नहीं सुधरीं, तो आने वाले समय में सांस के लिए ऑक्सीजन भी भरपूर नहीं मिलेगी। इस पेंटिंग को बनाया है गुड़गांव के सेक्टर-51 में रहने वाली 7 साल की दिव्यांशी। यह बच्ची छुट्टियों में अपनी नानी के घर लखनऊ गई हुई थी। इसी बीच एक प्रोजेक्ट के सिलसिले में उसके घर के पेड़ काट दिए गए। बच्ची जब घर लौटी, तो पेड़ न देखकर फूट-फूटकर रोई। मां दीप्ति ने जैसे-तैसे उसे चुप कराया। लेकिन बच्ची ने ठान लिया था कि वो कुछ ऐसा करेगी, जिससे लोगों को पेड़ न काटने के लिए समझाया जा सके। दिव्यांशी ने एक पेंटिंग बनाई। इसमें उसने पेड़ों को जूते पहनाए। उन्हें पंख भी लगाए, ताकि वे चल सकें और कटने से बच सकें।


गूगल देगा स्कॉलरशिप..
गूगल ने एक प्रतियोगिता आयोजित की थी ‘द वॉकिंग ट्री’शीर्षक से। इसमें दिव्यांशी की यह पेंटिंग 1.1 लाख प्रतिस्पर्धियों में पहले नंबर पर आई है। गूगल ने चिल्ड्रन डे पर इस पेंटिंग को डूडल पर जगह दी। विजेता के तौर पर दिव्यांशी को गूगल 5 लाख रुपए की कॉलेज और 2 लाख रुपए की स्कूल स्कॉलरशिप देने जा रहा है। दिव्यांशी के पिता नितिन सिंघल एक मल्टीनेशनल कंपनी में मैनेजर हैं। दिव्यांशी की मां एक फ्रीलांसर आर्टिस्ट हैं। उन्होंने ही दिव्यांशी को पेंटिंग की बारीकियां सिखाईं।

प्रतियोगिता में निर्णायक जूरी ने राष्ट्रीय विजेता के अलावा 5 समूह विजेताओं को भी चुना है।

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