केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलित किसानाें ने गुरुवार को हरियाणा और पंजाब में जगह-जगह जाम लगाकर अपना गुस्सा जाहिर किया। इससे पहले बुधवार को पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपने विधायकों के साथ दिल्ली में जंतर-मंतर पर धरना दिया। बता दें कि तीन कृषि कानूनों को किसान नुकसानदायक मान रहे हैं। पंजाब-हरियाणा में आंदोलन को देखते हुए पुलिस और प्रशासन ने हाईअलर्ट जारी किया है। इस बीच रेलवे ने कहा है कि आंदोलन से उसे 1200 करोड़ रुपए का नुकसान हाे गया है।
चंडीगढ़. केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन थमने का नाम नहीं ले रहा। बुधवार को पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने दिल्ली में जंतर-मंतर पर अपने विधायकों के साथ धरना दिया था। अब गुरुवार को भाकियू व विभिन्न किसान संगठनों ने हरियाणा और पंजाब में चक्का जाम किया। भाकियू ने 27 अक्टूबर को दिल्ली में हुई बैठक के बाद देशभर में चक्का जाम करने का ऐलान किया था। किसान आंदोलन को देखते हुए हरियाणा में पुलिस और प्रशासन हाई अलर्ट पर है। हरियाणा में दोपहर 12 से 4 बजे तक चक्का जाम का ऐलान किया गया था। करनाल में दिल्ली-चंडीगढ़ हाईवे पर नीलोखेड़ी पर जाम लगाया गया। कैथल जिले में हाईवे खुला है, लेकिन किसान तितरम रोड पर धरने पर बैठे रहे। पंजाब में भी गुरुवार को चक्का जाम किया गया है। किसान यूनियनों ने जीकरपुर में हाईवे पर जाम किया। पंजाब में अलग-अलग 100 जगहों पर धरना दिया गया। भाकियू पंजाब प्रधान जोगिंदर सिंह उगराहां और प्रदेश महासचिव सुखदेव सिंह कोकरी कलां ने बताया कि 20 नवंबर तक रेल रोको आंदोलन चलाया जाएगा। लेकिन मालगाड़ियों को नहीं रोका जाएगा।
रेलवे ने कहा-गाड़ियां नहीं चलने से 1200 करोड़ रुपए का नुकसान
इस बीच रेलवे ने फोटो जारी करके बताया था कि पंजाब में कई जगह ट्रैक जाम हैं। इससे कोयले की कमी के कारण पंजाब में रोज 3-4 घंटे तक बिजली की कटौती हो रही है। खाद की किल्लत बढ़ने लगी है। उद्योगों पर असर पड़ा है। रेलवे ने कहा कि पंजाब में रेल रोको आंदोलन से उसे 1200 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। वहीं, किसानों ने कहा कि वे केंद्र के आगे नहीं झुकेंगे। वे सिर्फ मालगाड़ियों को चलाने देंगे, यात्री ट्रेनें नहीं। आंदोलन के चलते रेलवे ने पंजाब जाने वाली 44 ट्रेनें रद्द कर दी हैं। वहीं 34 ट्रेनों का रूट बदल दिया गया है। पंजाब में गुरदासपुर, नवांशहर, जालंधर, रोपड़, लुधियाना, बठिंडा, फतेहगढ़ साहिब में किसानों ने हाईवे जाम कर दिया। चंडीगढ़-मनाली राष्ट्रीय मार्ग पर भी यही हालत है।
बढ़ रहा विरोध...
भाकियू का मुख्य प्रदर्शन 4 जिलों कुरुक्षेत्र, करनाल, यमुनानगर और अम्बाला में हो रहा है। इसे देखते हुए अकेले करनाल में अर्धसैनिक बलों की 6 कंपनियां और 120 जवान तैनात किए गए हैं। भाकियू प्रवक्ता राकेश बैंस ने रायपुर रोड़ान, हिसार में सरसीड, फतेहाबाद में ढाणीगोपाल, सिरसा में सुदूर गढ़ रोड़, ऐलनाबाद में मीठीसरेहा, सिरसा में नत्थू श्री चोपटा, सिरसा में साहूवाला डबवाली रोड, मलकाना रोड टोल प्लाजा रोहतक, पानीपत ब्राह्मण बांस, भिवानी में कलानौर हिसार में बहुअकबरपुर, चौक टीटोली चौक जींद में चक्का जाम का ऐलान किया था। कहा जा रहा है कि आंदोलन की अगली रणनीति के तहत किसान 27 को दिल्ली में हंगामा बोलेंगे। यहां आंदोलन को देखते हुए प्रशासन ने कुरुक्षेत्र में धारा 144 लगा दी है।
पंजाब सरकार चिंतित
यहां किसान आंदोलन के चलते पंजाब में मालगाड़ियों का परिचालन बंद पड़ा हुआ है। इससे थर्मल पावर प्लांट्स को कोयले की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। ऐसे में समूचे प्रदेश में बिजली संकट पैदा होने लगा है। इसे देखते हुए बुधवार को सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपने मंत्रियों-विधायकों के साथ दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना दिया था। इससे पहले उन्होंने राष्ट्रपति से मिलने का समय मांगा था। लेकिन राष्ट्रपति ने यह कहकर मिलने से मना कर दिया कि पंजाब सरकार द्वारा कृषि कानूनों के खिलाफ पारित प्रस्ताव अभी राज्यपाल के पास विचाराधीन है। कैप्टन ने केंद्र पर पंजाब के साथ सौतेला बर्ताव करने का आरोप लगाया है। बता दें कि कैप्टन राजघाट पर धरना देना चाहते थे, लेकिन सुरक्षा कारणों से यहां अनुमति नहीं मिल सकी थी।
(तस्वीर: दिल्ली के जंतर-मंतर पर बुधवार को कैप्टन अमरिंदर सिंह ने धरना दिया था)
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