मिट्टी का बना एक ऐसा किला- जिसे तोप के गोले भी नहीं भेद सके, जानिए उसे बनवाने वाले राजा की कहानी

राजा सूरजमल को ही भरतपुर रियासत की नींव रखने का श्रेय जाता है। राजा सूरजमल ने ही साल 1733 में भरतपुर रियासत की स्थापना की थी।

Ujjwal Singh | Published : Dec 25, 2022 1:37 PM IST

पानीपत(Haryana).   राजस्थान की भरतपुर रियासत का नाम आते ही जाट राजा सूरजमल का नाम सामने आना लाजिमी है। राजा सूरजमल को ही भरतपुर रियासत की नींव रखने का श्रेय जाता है। जो आज राजस्थान के भरतपुर शहर के नाम से जाना जाता है। राजा सूरजमल ने ही साल 1733 में भरतपुर रियासत की स्थापना की थी। महाराजा सूरजमल 25 दिसम्बर 1763 को नवाब नजीबुद्दौला के साथ हिंडन नदी के तट पर लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे।

इतिहास के पन्नों में दर्ज राजा सूरजमल के नाम एक और उपलब्धि है। वह है भरतपुर का अभेद्य लोहागढ़ किला। ये किला मिट्टी का बना है लेकिन उसे तोप के गोले भी नहीं भेद सके हैं। महाराजा सूरजमल का जन्म 13 फरवरी 1707 को हुआ था। उसी दिन मुगल शासक औरंगजेब जी मृत्यु हुई थी। उनके पिता राजा बदनसिंह ने उनका पालन पोषण किया। स्वतंत्र हिन्दू राज्य बनाने का सपना देखने वाले राजा सूरजमल कभी मुगलों के सामने नहीं झुके। इन पर एक फ़िल्म 'पानीपत' भी बनाई जा चुकी है।

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जब मुगलों ने सूरजमल के खिलाफ मराठाओं को भड़काया
साल 1753 तक महाराजा सूरजमल ने दिल्ली और फिरोजशाह कोटला तक अपना राजपाठ बढ़ा लिया था। इस बात से खफा दिल्ली के नवाब गाजीउद्दीन ने सूरजमल के खिलाफ मराठा सरदारों को भड़काया और मराठों ने भरतपुर पर चढ़ाई कर दी। उन्होंने कई महीनों तक कुम्हेर के किले को घेरे रखा। बताते हैं कि आक्रमण के बावजूद मराठा भरतपुर पर कब्जा नहीं जमा सके। उल्टा हमले में मराठा सरदार मल्हारराव के बेटे खांडेराव होल्कर की मौत हो गई।

सूरजमल ने बनवाया था ये अभेद्य किला
राजा सूरजमल ने ही भरतपुर में अभेद्य लोहागढ़ किला बनवाया था। जिसे 13 बार आक्रमण करके भी अंग्रेज हिला तक नहीं सके। मिट्टी के बने इस किले की दीवारें इतनी मोटी बनाई गई थीं कि तोप के गोले भी इन्हें कभी पार नहीं कर पाए। यह देश का एकमात्र किला है, जो हमेशा अभेद्य रहा।

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