हरियाणा की राजनीति में हमेशा से ही खाप पंचायतों की जड़े काफी गहरी रही हैं। यही वजह है कि चुनावी जंग जीतने के लिए नेता और उनकी पार्टियां खाप पंचायतों के आस-पास ही मंडराते नजर आती हैं, क्योंकि प्रभाव वाले इलाकों में खाप पंचायतों का फरमान आखिरी माना जाता है। इनके आगे किसी की नहीं चलती है।
चंडीगढ़(Haryana). हरियाणा की राजनीति में हमेशा से ही खाप पंचायतों की जड़े काफी गहरी रही हैं। यही वजह है कि चुनावी जंग जीतने के लिए नेता और उनकी पार्टियां खाप पंचायतों के आस-पास ही मंडराते नजर आती हैं, क्योंकि प्रभाव वाले इलाकों में खाप पंचायतों का फरमान आखिरी माना जाता है। इनके आगे किसी की नहीं चलती है।
हरियाणा में खापों का प्रभाव जाट बहुल क्षेत्रों में ज्यादा है। प्रमुख रूप से कंडेला खाप, बिनैन खाप, सर्वजाट खाप, महम चौबीसी खाप और गठवाला मलिक खाप अलग-अलग चुनाव में अहम भूमिका निभाते हैं। इन पर सभी राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों की नजर रहती है।
#1. इन विधानसभा सीटों पर है कंडेला खाप का असर
कंडेला खाप ने अभी तक किसी को चुनाव में समर्थन पर निर्णय नहीं लिया है। जींद इलाके में इस खाप का खासा प्रभाव माना जाता है। खाप प्रधान टेकराम कंडेला के बीजेपी में जाने के बाद समीकरण कुछ बदले हैं। इसके अलावा गठवाला मलिक खाप कई विधानसभा क्षेत्रों में अपने वजूद का दावा करती है। इनमें गन्नौर, गोहाना, बरौदा, जुलाना, पानीपत ग्रामीण, इसराना, हांसी और सफीदों विधानसभा क्षेत्रों में तूती बोलती है। 2014 के चुनाव में इस खाप के समर्थन से कई विधायक विधानसभा में पहुंचे थे।
#2. बरवाला, हांसी, नारनौंद, कैथल, गोहाना में किसका दबदबा
हरियाणा में बिनैन खाप की तो नरवाना, टोहाना और उकलाना इसके प्रभाव वाले क्षेत्र माने जाते हैं। अन्य जाट क्षेत्रों में भी खाप अपना रसूख होने का दावा करती रही है। जबकि सर्व जाट खाप नवाना, टोहाना, उकलाना, बरवाला, हांसी, नारनौंद, कैथल व गोहाना क्षेत्रों में दबदबा होने का दम भरती है। जाट आरक्षण आंदोलन से इस खाप का उदय हुआ है।
#3.ये खाप पंचायत सबसे अलग
महम चौबीसी खाप दो विचारधाराओं में बंटी हुई है। हालांकि, इस खाप पंचायत का इतिहास चुनाव में अपने उम्मीदवार उतारने का रहा है। खाप ने अपने दम पर पंचायती उम्मीदवारों को जिताया भी है। खाप के जीते उम्मीदवारों में हरस्वरूप बूरा, उमेद सिंह और प्रो. महा सिंह जैसे लोगों के नाम शामिल हैं। इसके अलावा समैण बिठमड़ा खाप का भी अपना खास असर है।
इस बार के चुनाव में खाप ने अभी तक अपने समर्थन का ऐलान नहीं किया है। देखना होगा कि विधानसभा चुनाव के लिए किस पार्टी को सपोर्ट का ऐलान करते हैं।