चंडीगढ़ पर दावे को लेकर 1967, 1970, 1978, 1985, 1986 और 2014 में पंजाब में प्रस्ताव पास हो चुका है। वहीं, SYL को लेकर हरियाणा में भी साल 2000 के बाद से पांच बार प्रस्ताव पास हो चुका है।
चंडीगढ़ : पंजाब (Punjab) के बाद अब हरियाणा (Haryana) ने भी चंडीगढ़ (chandigarh) पर अपना दावा ठोंक दिया है। मंगलवार को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया। जिसमें पंजाब सरकार के प्रस्ताव का विरोध जताया गया। सदन में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khattar) ने चंडीगढ़, SYL (Satluj Yamuna Link Canal) और भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड के मुद्दे पर सदन में सरकारी प्रस्ताव पेश किया। सदन में सिफारिश की गई कि चंडीगढ़ को लेकर पंजाब सरकार ने जो प्रस्ताव पास किया है, उसको केंद्र सरकार के सामने उठाया जाए। सरकार के इस सिफारिश का विपक्षी दलों ने भी समर्थन किया।
पंजाब ने जो किया वो ठीक नहीं
चंडीगढ़ के मुद्दे पर पंजाब सरकार को घेरते हुए गृहमंत्री अनिल विज (Anil Vij) ने कहा कि पंजाब सरकार का प्रस्ताव राजनीतिक प्रस्ताव है। वहां की सरकार कभी भी अपने वादे पूरा नहीं करती। यह प्रस्ताव सिर्फ और सिर्फ जनता का ध्यान भटकाने के लिए लाया गया है। उन्होंने कहा कि हरियाणा के साथ कभी इंसाफ नहीं हुआ। जब हरियाणा बना तब भी हालात ठीक नहीं थे लेकिन यहां के लोगों ने दिन रात मेहनत कर इसे यहां तक पहुंचाया। हम पंजाब के बड़े भाई हैं। चंडीगढ़ के मुद्दे पर हम पीछे नहीं हटेंगे और अपना हक लेकर ही रहेंगे।
सरकार के साथ आया विपक्ष
वहीं इस मुद्दे पर सरकार और विपक्षी दल एकजुट दिखे। डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला (Dushyant Chautala) मुख्यमंत्री की तरफ से रखे गए प्रस्ताव का समर्थन किया और कहा कि चंडीगढ़ हमारा है और हमारा ही रहेगा। दुष्यंत चौटाला ने केंद्र सरकार से अलग विधानसभा बनाने के लिए जमीन की मांग की। वहीं, नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा (Bhupinder Singh Hooda) ने चंडीगढ़ के मुद्दे को गंभीर बताया और कहा कि सिर्फ राजनीतिक जुमले के लिए पंजाब में यह प्रस्ताव लाया गया है। पंजाब एसवाईएल का पानी रोकने की कोशिश में लगा है। उन्होंने कहा कि पंजाब एल्डर ब्रदर बने न कि बिग ब्रदर। सबको एक होकर मुकाबला करना होगा। हमारी हिस्सेदारी कम नहीं होगी, हम इस मुद्दे पर सरकार के साथ हैं।
क्या है विवाद
बता दें कि एक अप्रैल को पंजाब की भगवंत मान सरकार ने विधानसभा के विशेष सत्र में चंडीगढ़ पर पंजाब के हक का प्रस्ताव पास किया। मांग की गई कि चंडीगढ़ को पूरी तरह से पंजाब को सौंपा जाए। इसके बाद सियासत होने लगी। पंजाब से हरियाणा तक सियासी पारा हाई हो गया। सीएम मनोहर लाल समेत कई नेताओं ने इस प्रस्ताव की निंदा की तो विपक्षी दलों ने खूब बयानबाजी की।
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