जानिए क्या है हरियाणा सरकार का प्राइवेट सेक्टर में 75% नौकरी वाला कानून, कब लाया गया और क्या है विवाद

इस कानून के तहत 30 हजार रुपए तक की सैलरी वाली निजी नौकरियों में प्रदेश के युवाओं को 75 फीसदी आरक्षण का लाभ मिलेगा। पहले यह सीमा 50 हजार रुपए तक थी। उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के उपनिदेशक स्तर के अधिकारी निगरानी करेंगे।

Asianet News Hindi | Published : Feb 17, 2022 6:58 AM IST / Updated: Feb 17 2022, 01:01 PM IST

चंडीगढ़ : हरियाणा (Haryana) के प्राइवेट सेक्टर में 75 प्रतिशत नौकरी स्थानीय लोगों को मिलती रहेगी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने खट्टर सरकार को राहत देते हुए कानून पर लगे हाईकोर्ट के स्टे को हटा लिया है। इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट को चार हफ्ते में मामले में फैसला करने को कहा है। कोर्ट ने कानून के तहत कोटा ना देने पर कंपनियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई पर भी रोक लगाई है। क्या आप जानते हैं कि क्या है प्राइवेट नौकरियों में आरक्षण का यह मामला और क्यों इसको लेकर विवाद छिड़ा हुआ है। आइए आपको बताते हैं इस कानून से जुड़ा सबकुछ..

क्या है मामला 
हरियाणा राज्य स्थानीय उम्मीदवारों के रोजगार अधिनियम, 2020 को छह नवंबर, 2021 को अधिसूचित किया गया था। इसके तहत निजी क्षेत्र यानी प्राइवेट सेक्टर में स्थानीय उम्मीदवारों को 75 फीसदी आरक्षण प्रदान करने की बात है। यह अधिनियम 15 जनवरी, 2022 से प्रभावी होने वाला था। यह कानून सभी कंपनियों, समितियों, ट्रस्टों, एलएलपी फर्म, साझेदारी फर्मों और दस या अधिक व्यक्तियों को रोजगार देने वाले किसी भी नियोक्ता पर लागू होता है। लेकिन इसमें केंद्र सरकार या राज्य सरकार या उनके स्वामित्व वाले किसी भी संगठन को शामिल नहीं किया गया है। 

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क्यों हो रहा विवाद

फरीदाबाद इंडस्ट्रियल एसोसिएशन और अन्य का कहना है कि प्राइवेट सेक्टर में योग्यता और स्किल के अनुसार लोगों का सेलेक्शन किया जाता है। यदि नियोक्ताओं से कर्मचारी को चुनने का अधिकार ले लिया जाएगा तो उद्योग कैसे आगे बढ़ सकेंगे। हरियाणा सरकार का 75 प्रतिशत आरक्षण का फैसला योग्य लोगों के साथ अन्याय है। यह कानून उन युवाओं के सांविधानिक अधिकारों का हनन है जो अपनी शिक्षा और योग्यता के आधार पर भारत के किसी भी हिस्से में नौकरी करने को स्वतंत्र हैं। याची ने कहा कि यह कानून योग्यता के बदले रिहायश के आधार पर निजी क्षेत्र में नौकरी पाने की पद्धति को शुरू करने का प्रयास है। ऐसा हुआ तो हरियाणा में निजी क्षेत्र में रोजगार को लेकर अराजकता की स्थिति पैदा हो जाएगी। 

कानून के दायरे में कौन-कौन?
हरियाणा सरकार के नए कानून के तहत सभी कंपनियां, सोसायटी, ट्रस्ट, लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप फर्म, पार्टनरशिप फर्म और 10 या अधिक को रोजगार देने वाला कोई भी व्यक्ति और या संस्था इस अधिनियम के दायरे में आएगा। उद्योगपतियों के सुझावों पर इस कानून में कुछ बदलाव किया गया है।

कितनी सैलरी वालों को मिलेगा लाभ?
इस कानून के तहत 30 हजार रुपए तक की सैलरी वाली निजी नौकरियों में प्रदेश के युवाओं को 75 फीसदी आरक्षण का लाभ मिलेगा। पहले यह सीमा 50 हजार रुपए तक थी। उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के उपनिदेशक स्तर के अधिकारी निगरानी करेंगे। ईंट-भट्ठों पर यह नियम लागू नहीं होगा। आईटीआई पास युवाओं को रोजगार में प्राथमिकता मिलेगी।

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किसे माना जाएगा स्थानीय

प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण का लाभ उन्हीं उम्मीदवारों को दिया जाएगा जो हरियाणा राज्य में अधिवासित यानी स्थानीय निवासी हैं। इन्हें ही लोकल कैंडिडेट की श्रेणी में रखा गया है। इस आरक्षण के तहत लाभ प्राप्त के लिए कैंडिडेंट को अनिवार्य रूप से डेजिनेटेड पोर्टल पर खुद को रजिस्टर करना होगा। एंप्लॉयर को भी इसी पोर्टल के जरिए भर्तियां करनी होंगी।

क्या है कानून की नियम और शर्तें
हर एंप्लॉयर को उन पदों के लिए 75 प्रतिशत स्थानीय उम्मीदवारों को नियुक्त करने की आवश्यकता होगी, जहां ग्रॉस मंथली सैलरी 30,000 रुपए या इससे कम है, जैसा कि सरकार की ओर से अधिसूचना में कहा गया है। स्थानीय हरियाणा के किसी भी जिले का निवासी हो सकता है लेकिन कंपनी या एंप्लॉयर के पास किसी भी जिले के निवासी के रोजगार को कुल उम्मीदवारी संख्या के 10 प्रतिशत तक सीमित करने का अधिकार होगा।

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