
करनाल. हरियाणा के करनाल में शनिवार को प्रदर्शन कर रहे किसानों पर लाठियां बरसाने का फरमान सुनाने वाले एसडीएम अफसर आयुष सिन्हा को लेकर लोगों में गुस्सा है। किसान और विपक्ष केंद्र से लेकर राज्य सरकार पर अधिकारी की कार्यशैली को लेकर कई सवाल खड़े कर रहे हैं। लेकिन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर अधिकारी के बचाव में आए हैं। उन्होंने कहा कि अधिकारी का लाठीचार्ज करने का निर्णय एक प्रशासनिक फैसला था। कोई दूसरा अफसर होता तो वह भी वही करता।
सीएम ने कहा-अधिकारी का शब्दों का चयन गलत था
दरअसल, सीएम मनोहर लाल खट्टर सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सीएम ने कहा कि मैंने भी उस दिन की घटना और अधिकारी का विडियो देखा-सुना है। एसडीएम के शब्दों का चयन सही नहीं था। उनको इस तरह के शब्द नहीं बोलना चाहिए था। लेकिन उन्होंने जो सख्ती दिखाई वह सही थी। वह प्राशसनिक काम कर रहे थे, लोकतंत्र की व्यवस्था को बहाल करना प्रशासन और शासन की ज़िम्मेदारी होती है। उन्होंने अपनी ड्यूटी की है, उनपर क्या कार्रवाई होनी चाहिए क्या नहीं यह प्रशाशन का काम है मेरा नहीं।
'समझौता होने के बाद किसानों ने योजना बनाकर किया हंगामा'
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस दिन किसानों ने उग्र आंदोलन करनाल में किया वह बेहद निंदनीय था। दो दिन पहले ही आंदोलनकारियों से समझौता हुआ था कि वह अपना आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से करेंगे। लेकिन उन्होंने हंगामा करते हुए हमारे प्रदेश अध्यक्ष की गाड़ी को रोक लिया। सीएम ने बताया कि पार्टी ने करनाल में एक बैठक का आयोजन रखा था। लेकिन आंदोलनकारियों मीटिंग की वह बीजेपी का कोई भी कार्यक्रम नहीं होने देंगे। किसी को यह अधिकार नहीं है कि वह कोई कार्यक्रम ना होने दें।
यह है पूरा मामला
बता दें कि शनिवार को आंदोलन कर रहे किसानों को करनाल में पुलिस ने दौड़ा-दौड़ा कर पीटा था। जमकर लाठियां बरसाई गईं, इस दौरान कईयों को लहूलुहान तक कर दिया था। बताया गया कि पुलिसकर्मियों को लाठियां बरसाने का आदेश एसडीएम आयुष सिन्हा ने दिया था। अफसर ने कहा था कि कोई भी किसान बैरिकेडिंग पार न कर पाए। अगर इसके बाद भी कोई बैरिकेडिंग के आगे आ जाए तो लाठी से उसका सिर फोड़ दो। सीधे लट्ठ मारना, कोई डाउट मत रखना, मारोगे ना..यह मेरा आदेश है।
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