बैंक की नौकरी से इस्तीफा देकर लड़ा चुनाव, जनता के सबसे चहेते नेता हैं विज

हरियाणा की राजनीति में बीजेपी के तेज तर्रार आक्रामक नेता अनिल विज हमेशा सुर्खियों में रहते हैं। खट्टर सरकार में स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज बीजेपी के ऐसे नेता हैं जिन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा का जीना हराम कर दिया था। रॉबर्ट वाड्रा के जमीन खरीदने वाले मामले को विज ने खूब जोर-शोर से उठाया था। 

चंडीगढ़. हरियाणा की राजनीति में बीजेपी के तेज तर्रार आक्रामक नेता अनिल विज हमेशा सुर्खियों में रहते हैं। खट्टर सरकार में स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज बीजेपी के ऐसे नेता हैं जिन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा का जीना हराम कर दिया था। रॉबर्ट वाड्रा के जमीन खरीदने वाले मामले को विज ने खूब जोर-शोर से उठाया था। 

विज यूं तो शालीन व्यवहार के हैं लेकिन बहुत बारह उनके दो टूक बयान बवाल खड़ा कर देते हैं। विधान सभा चुनाव में अनिल विज अंबाला छावनी सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। उनका राजनीतिक सफर भी दिलचस्प रहा है। आइए हम आपको हरियाणा की राजनीति में अपनी बेदाग़ और साफ छवि वाले इस नेता की जन्मतिथि, परिवार, राजनीतिक करियर के बारे में बताते हैं-

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अनिल विज की जन्मतिथि- 

अनिल विज का जन्म 15 मार्च 1953 को हुआ है, वह 66 साल के हैं। बताते हैं कि बहुत कम उम्र में ही उनके पिता का देहांत हो गया था। उनके पिता का नाम भीम सेन था दो रेलवे में अधिकारी थे। पिता के गुज़रने के बाद घर की जिम्मेदारियां विज के कांधों पर आ गई थीं।

अनिल विज का परिवार- 

दो भाई और बड़ी बहन की परवरिश उन्होंने ही की है। इतना ही नहीं घर की जिम्मेदारियों की वजह से उन्होंने कभी शादी न करने का भी फैसला किया था।

अनिल विज एजुकेशन- 

विज ने 1968 में बनारसी दास स्कूल से हाईस्कूल किया। इसके बाद उन्होंने अंबाला के एसडी कॉलेज से साइंस में ग्रेजुएशन करने के बाद वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ गए। 1970 में वो एबीवीपी के महासचिव बने। वह आरएसएस के प्रचारक भी रहे हैं।

16 साल तक बैंक में की नौकरी- 

हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री विज कभी बैंक अधिकारी भी रहे हैं। साल 1974 में उन्हें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में नौकरी मिली थी। 16 साल तक उन्होंने बैंक अधिकारी के रूप काम किया, फिर राजनीति में आ गए। 

राजनीतिक करियर- 

साल 1990 में विज ने नौकरी छोड़ राजनीति में कदम रखा। अंबाला कैंट से ही बीजेपी नेता सुषमा स्वराज के राज्यसभा सदस्य निर्वाचित होने के बाद बीजेपी ने इसी सीट से विज को मैदान में उतार दिया। पार्टी के लिए समर्पित विज ने तुरंत बैंक में इस्तीफा देकर चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी। 

विज 1990 में अम्बाला कैंट विधानसभा के उपचुनाव में खड़े हुए और जीते भी। हालांकि साल 1991 में हुए विधानसभा चुनाव में अनिल विज हार गए। बावजूद इसके वह पार्टी के प्रति पूरी तरह समर्पित रहे। 
इसी साल पार्टी ने उनकी मेहनत देख उन्हें भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष का पद सौंप दिया। 

बीजेपी छोड़ निर्दलीय लड़ा चुनाव-

कुछ समय वाद विज ने बीजेपी का साथ छोड़ दिया लेकिन अंबाला में वह जनता के बीच पाप्युलर नेता बन गए। जिसका उन्हें फायदा मिला और 1996 में विज ने निर्दलीय चुनाव लड़ा तो भी उन्हें जीत हासिल हुई। साल 2000 के विधानसभा चुनाव में भी अनिल विज निर्दलीय चुनाव जीते थे। 

दोबारा बीजेपी से जुड़े विज- 

साल 2005 में विज ने बीजेपी में वापसी कर ली लेकिन इसी साल हुए विधानसभा चुनावों में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद विज ने जनता के बीच जबरदस्त पहुंच बनाई और साल 2009 में उन्होंने कांग्रेस नेता निर्मल सिंह को हराकर जीत दर्ज की। विज का पद बढ़ और उन्हें विधानसभा में विपक्ष के विधायक दल का नेता चुना गया था। साल 2014 के विधानसभा चुनाव में भी विज अभूतपूर्ण जीत हासिल की। विज ने इस बार भी निर्मल सिंह को भारी मतों से हराया था।

इसी साल 26 अकटूबर को उन्हें हरियाणा का स्वास्थ्य मंत्री घोषित किया गया। 7 बार विधानसभा चुनाव लड़ चुके विज पांच बार भारी मतों से विजयी रहे हैं। साल 2019 के विधासभा चुनाव में अनिल विज अंबाला केंट से चुनाव लड़ रहे हैं। बीजेपी पार्टी के दिग्गज नेता विज इस बार भी जीत हासिल करने के लिए पुरजोर कोशिशों में लगे हैं। 

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