क्रूर पति की अमानवीयता: पत्नी को डेढ़ साल टॉयलेट में बंद रखा, शरीर बन गया हड्डियों का ढांचा

पति 15 में एक बार महिला को टॉयलेट से बाहर निकालता था और पिटाई करके फिर बंद कर देता। उसे घर से बाहर नहीं निकलने देता था। 15 दिन में एक दिन उसे खाना देता था। 
 

पानीपत. जिले के रिसपुर गांव में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। बुधवार को महिला सुरक्षा अधिकारी रजनी गुप्ता और उनकी टीम ने घर के टॉयलेट से एक महिला को मुक्त कराया। सबसे शॉकिंग यह है कि महिला पिछले एक साल से टॉयलेट में कैद थी। टीम ने जब उसे बाहर निकाला, उस वक्त उसका शरीर हड्डियों का ढांचा बन चुका था। मानसिक हालात का हवाला देकर उसके पति ने ही उसे टॉयलेट में कैद किया था। मामले का खुलासा तब हुआ जब आरोपी का दोस्त उसके घर मिलने गया था। उसने देखा कि टॉयलेट में महिला बंद है। शरीर पर गंदगी लगी हुई थी। पूछने पर पता चला कि वह दोस्त की पत्नी है। पति ने बताया कि उसकी मानसिक हालत ठीक नहीं है। वह बार-बार शौच कर लेती है। इसलिए उसे ऐसे बंद करके रखा।  

दोस्त ने दी महिला सुरक्षा टीम को सूचना...

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मामले की जानकारी लगते ही महिला सुरक्षा अधिकारी रजनी गुप्ता अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंची। उन्होंने आनन-फानन में महिला को मुक्त कराया। उसे नहलाया-धुलाया गया। एसपी ने संज्ञान लेते हुए पीड़िता की मेडिकल जांच करने का आदेश दे दिया है। पुलिस ने पति के खिलाफ मामला दर्ज किया है। 

15 में एक दिन देता था खाना..करता था पिटाई
पड़ोसियों ने बताया कि युवक आए दिन पत्नी की पिटाई करता था। उसे घर से बाहर नहीं निकलने देता था। उसे टॉयलेट में बंद करके रखा है। युवक 12 से 15 में एक दिन उसे खाना देता था। आलम यह था कि रेस्क्यू टीम ने जब महिला को बाहर निकाला तो उसने सबसे पहले दो कप चाय पी और फिर एक साथ 8 रोटियां खा गई। आसपास के लोग उसको गोद में उठाकर गाड़ी तक लेकर गए, क्योंकि वह चल भी नहीं पा रही थी।

महिला के भाई और पिता की हो चुकी है मौत
अधिकारियों का कहना है कि अगर महिला की मानसिक हालत ठीक नहीं थी तो उसका इलाज कराना चाहिए था। ना कि इस तरह की अमानवीयता करनी थी। आरोपी ने कहा, मैंने इलाज कराया था लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। पुलिस ने जब उससे डॉक्टर के कागज मांगे तो वह नहीं दे पाया। पीड़िता अपने पति और बच्चों को पहचान रही है। महिला का मायके में सिर्फ मां है। पिता और भाई की पहले ही मौत हो चुकी है।

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